Thursday, 29 November 2012

Nutan Comics-245Chatur Mantri


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नूतन कॉमिक्स-445-चतुर मंत्री
 ये उस समय की कॉमिक्स थी जब राजा-महाराजा की कहानियों का दौर था। और ये कहानियां बहुत पसंद की जाती थी और अगर मै आज के दौर की बात करूँ तो आज का दौर सुपर हीरो का है पर हमारे जैसे पुराने कॉमिक्स प्रेमी आज भी इन्ही राजा-महाराजा की कहानी को पसंद करते है। इस कॉमिक्स को पढने के बाद मुझे अभी तक ये नहीं समझ में आ रहा है की इस कॉमिक्स का विवरण कैसे दूँ . कहानी की भूमिका तो बेहतर तरह से बांधी गयी है और कहानी की सुरुवात भी बेहतर तरीके से की गयी है पर फिर पता नहीं क्यों मुझे कहानी पढने में उतना मज़ा नहीं आया जैसे की मैंने उम्मीद की थी। पर बहुत सोचने के बाद में मुझे ये नहीं समझ में आ रहा है की ऐसा क्यों कर हुवा है।

कहानी शुरू होती है एक ऐसे राजा से जो की किसी दुसरे राजा के अधीन हो कर राज्य चलता है पर जैसा की हम सभी मानते है की किसी के अधीन राज्य चलाना आसान भी नहीं और किसी को ये अच्छा भी नहीं लगेगा। यही कारण है राजा के दुखी होने का, और महारानी और मंत्री जी ने उठा  लिया है राजा के इस दुख को दूर करने का बीड़ा जो की बहुत ही कठिन कार्य है। पहले तो उनको अपने राज्य के गदारों को खोजकर उनको ख़तम करना है और फिर उस शक्तिशाली राजा के विरुद्ध लडाई करके उससे अपने राज्य को आजाद करवाना है। ये सब कैसे होता है और इसके लिए महारानी और मंत्री कैसे काम करते है वो ही इस कहानी का मुख्य आकर्षण है। इस बेहतर कहानी का आनंद ले फिर मिलते है .......

Prabhat Comics - 438 Sone ki Gay

Prabhat Comics - 403 Var Ki Khoj

Sunday, 25 November 2012

Pawan Comics-Ratangadh Ka Yovraj


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पवन कॉमिक्स -रतनगढ़ का युवराज
 इतने दिन से काफी बाते हमारे बीच होती आई है, और जहाँ तक मुझे लगता है कि आप सब ये जरुर जानना चाहते होंगे की आखिर कॉमिक्स को स्कैन से लेकर अपलोड तक किस -किस प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और इन सब में कितना समय लगता है। सच कहूँ तो मुझे सबसे ज्यदा समय, कॉमिक्स को तलाश करने में लगता है। जिसकी कोई समय नहीं सीमा है। कभी- कभी तो हफ़्तों लग जाते और कभी-कभी तो मिनटों में काम हो जाता है। फिर शुरु होता है असली काम,पहले कॉमिक्स के पन्नों को देखना की वो पूरें हैं कि नहीं इसमें 5 मिनट लगते है। फिर कॉमिक्स के पिन निकालकर उसे अलग करना और फिर एक-एक पन्ने को अलग-अलग 300 dpi पर स्कैन करना जिससे उसमे कोई भी कमी न रह जाए और ये काम लेता है पूरे 50 या 25 मिनट (बड़ी कॉमिक्स 32 पन्ने वाली,और छोटी कॉमिक्स 32 पन्ने ) और फिर उसे कम्पूटर पर सेव करना। फिर शुरु होता है फोटोशॉप पर काम जिसमे कॉमिक्स को क्रॉप करना और रंगों के साथ थोडा बहुत काम जो लेता है कम से कम 30 मिनट। फिर उस फोल्डर को .cbr फाइल में बदल कर अपलोड करना जो की लेता है कम से कम 30 मिनट।आप को लग रहा होगा की अब काम ख़तम , लेकिन नहीं इसके बाद आप के लिए कुछ लिखना और उसे ब्लॉग और ऑरकुट कम्युनिटी पर आप सबके सामने रखना जो की लेता है 45 मिनट से भी ज्यदा। तब जा कर कोई कॉमिक्स आप तक पहुचती है कुल मिलाकर 3 घंटो का मेहनत भरा काम जो की मै पांच साल से लगातार कर रहा हूँ और मेरी पूरी कोशिश होगी हमेशा ऐसा ही करता रहूँ।
 मेरी किसी से कोई प्रतियोगिता नहीं है,मै अपनी गति से काम करता हूँ जो मुझसे बेहतर करता है या भबिष्य करेगा उसको नमन, और जो नहीं कर पाता है उसके लिए मेरे दिल में सम्मान और बढ़ जाता है की वो अपने अनमोल समय से कुछ समय (बहुत थोडा ही सही ) निकलता है। शायद उनके पास उतना भी समय न हो।

 अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये, ये कॉमिक्स मेरे पास बहुत दयानिए स्थिति में है और मैंने इसे पढ़ा भी नहीं था पर कल जब कॉमिक्स स्कैन की तो लगा की पढ़ कर देखते है। कहानी के लिहाज़ से ये एक बेहतर कॉमिक्स है ,मेरी उम्मीद से कही बेहतर कॉमिक्स निकली।कहानी बेहतर तरीके से लिखी गयी है जो की बाँध कर रखती है.
 रतनगढ़ के शांतिप्रिय राजा का पडोसी रतनगढ़ को जीतने के लिए छल से रतनगढ़ के जंगलों में पहुँचता है और रतनगढ़ के सेनापति से मिलकर रतनगढ़ पर हमले की योजना बनता है,आगे क्या होता है इसके लिए आप इस बेहतर कॉमिक्स का आनंद ले फिर मिलते है ................

Radha Comics - Ustadon ka Ustad


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Goyal Comics - 26 Karamati Ghodi


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Wednesday, 21 November 2012

Nutan Comics-167-Chutki Aur Heron Ka Haar

नूतन कॉमिक्स-167- छुटकी और हीरों का हार
 मेरे प्यारे मित्रों, इस सप्ताह अगर देखा जाये तो मेरे लिए शांति से बीता,इसका मतलब ये ना लगाया जाये की 7 दिनों मेरे बारे में कुछ नहीं कहा गया,अब तो मुझे इस बात की आदत हो गयी है,इसलिए अब मुझ पर इन सब बातों का असर कम समय तक होने लगा है (बेशर्म हो गया हूँ ),लेकिन एक सुखद बात जरुर पता चली और वो ये है की जो इंसान, बिना मुझे जाने,बिना मुझे पहचाने मेरे बारे में कुछ भी कह रहा था वो असल में कौन है,और उससे भी बड़ी बात की वो ये सब क्यों कर रहा है,और ये जानकर थोडा दुख भी हुआ और संतोष भी। कारण भी इतना छोटा है की मुझे ऐसी बात बताने का मन तो नहीं कर रहा है। पर लोगो को सही बात पता तो चलना ही चाहिए। "साहब" लेखक और चित्रकार बनना चाहते है और उनकी मदद वो इंसान कर सकते है जो शायद मेरी बुराई सुनना चाहते थे ,(अब मुझे नहीं लगता, उनको मेरी बुराई सुनने में कोई मज़ा आ रहा होगा ) बस उनको खुश करने के लिए मुझे बिना जाने, बिना पहचाने मेरे बारे में उल्टा- सीधा लिखना शुरू कर दिया है जो की आज तक बादस्तूर जारी है। चलो मेरे ही कारण(मुझे गालियाँ देने से ) अगर किसी का भला हो जाता है तो मै ये सोचूंगा की मेरे से अनजाने में ही कोई अच्छा काम हो रहा है। "अब मै आप की किसी बात का बुरा नहीं मानूंगा आप मेरे बारे में कुछ भी लिखने को पूरी तरह से आज़ाद है"। आप अपने लिए अगर कुछ कर रहे है तो वो गलत नहीं हो सकता, और अगर कुछ गलत है तो वो देखने का काम मेरा नहीं इश्वर का है वो खुद सब देख लेंगे।
अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये, इस तरह की कॉमिक्स को देखने के बाद एक बात का पूरी तरह से विश्वास हो जाता है कि कॉमिक्स की हद से ज्यदा मांग थी इसलिए कॉमिक्स छापने के लिए लोगो ने नक़ल का खूब इस्तेमाल किया, ये कॉमिक्स "प्राण" के चरित्र "पिंकी" की हुबहू नक़ल है। अगर कुछ बदला है तो वो सिर्फ लेखक और उनकी कहानी।(कम से कम कहानी की नक़ल नहीं की ). आप से समझ कर इस कॉमिक्स को पढ़ सकते है की आप पिंकी की कोई और कॉमिक्स पढ़ रहे है जिसे "प्राण" जी ने नहीं बनाया और लिखा है। कहानी वैसे ही छोटी -छोटी और मजेदार है जैसे पिंकी की कॉमिक्स होती है,पर "प्राण" जी से इसकी तुलना नहीं करना चाहिए क्योंकि उनका मुकाबला तो कोई कर ही नहीं सकता,पर फिर भी कहानी बेहतर ही है और पढने के लायक है। आप इन बेहतरीन कहानियों का आनंद लें जल्दी है आप सब से दुबारा मिलता हूँ ......./.

Goyal Comics - 107 Kale Pahad Ka Bauna Shaitaan


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Goyal Comics - 106 Sanpon Ki Barish


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Veva Chitra Katha - Krishnatar 1 - Krishna ka Janam


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Veva Chitra Katha - Ramayan 1 - Ayodhya ke Rajkumar


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Veva Chitra Katha - Ramayan 2 - Sita Haran


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Veva Chitra Katha - Ramayan 3 - Lanka Dahan

Friday, 16 November 2012

Ajay Chitrakatha-Pratishodh Ki Jwala


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अजय चित्रकथा-प्रतिशोध की ज्वाला
 जैसा की आप सब जानते है की दिवाली अभी होकर बीती है. दिवाली पर ज्यदा काम होने के कारण स्कैनिंग नहीं हो पा रहा था, साथ ही साथ दिवाली पर थोड़ी चोट भी लग गयी, तो काम थोडा और मुश्किल हो गया. इश्वर की कृपा है की चोट ज्यादा नहीं लगी है,इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. सोमवार के बाद दुबारा स्कैन करना शुरु करूँगा, ये पहले से स्कैन थी तो इसे आज अपलोड कर रहा हूँ.
अब कुछ बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये. कहानी के लिहाज़ से इससे बकवास कॉमिक्स मैंने शायद ही कभी पढ़ी होगी. मेरे हिसाब से इस कॉमिक्स में पढने लायक कुछ भी नहीं है, ऐसा लगता है जैसे कुछ भी लिख दिया है, कोई सोच समझ में नहीं आती,चित्र भी बिना रंगों के है जो की चित्रों का भी मज़ा नहीं दे पा रहा है. अगर इस कॉमिक्स की कुछ खास बात है तो वो सिर्फ ये है की ये कॉमिक्स बहुत पुरानी, जहाँ तक मेरा अंदाजा है १९७८ से पहले की होनी चाहिए बाकि इसमें कुछ भी अच्छा कम से कम मुझ तो नहीं दिखा. आप भी पढ़ कर देख लें शायद आप को कुछ अच्छा लग जाये वैसे मुझे इस बात की कोई उम्मीद बिलकुल भी नहीं है. आप इस कॉमिक्स को किसी तरह झेलियें आप से फिर जल्दी ही मिलता हूँ ...........

Monday, 12 November 2012

Nutan Chitrakatha-47-Sone Ka Pahaad

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नूतन चित्रकथा-४७- सोने का पहाड़
सर्वप्रथम आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
 जैसा की आप सभी जानते ही है कि पिछले कई दिन मेरे लिए बहुत मुश्किल थे,हर दूसरा आदमी मेरे बारे में अपने ऑरकुट में कुछ न कुछ लिखता रहा,जो कि मेरे लिए बहुत ही कष्टकारी था,कुछ महानात्मएं ऐसी भी थी जिन्होंने मुझे, गधा और सुअर   बोलने तक से परहेज़ नहीं किया,साथ ही साथ मुझे सबक सिखाने कि धमकी तक दी(रोका किसने है मेरा फ़ोन नंबर और घर का पता ऑरकुट में लिखा हुआ है,जो करना हो कर लो. मुझे जो करना था  कर लिया है और आगे भी जो करना होगा कर ही दूंगा, कहूँगा कुछ नहीं.)और तो और कुछ ऐसे लोग भी है  जो ५० से ऊपर हो चुके है फिर भी मुझे गलियां देने वालों को रोकने के बजाये भड़काने में लगे है जिससे उनकी रोटियां सिकती रहे.अब आप सब अंदाज़ा लगा सकते है कि मुझ पर क्या बीत रही होगी,फिर भी न बोलने कि बात को लेकर मै आत्मनियंत्रण कि स्थिति में था.
बहुत दुखी होने के बाद भी मै कही कुछ नहीं बोला और न आज कुछ कह रहा हूँ ,ये उनके विचार है और उनके विचारों को लेकर मै कुछ नहीं कहना चाहता हूँ . फिर बहुत ही दुखी मन से मैंने "विजेता भूतनाथ" अपलोड की और अपने चाहने वालों से अपने लिए इश्वर से प्राथना करने को कहा था की मुझे कॉमिक्स और पैसे मिलते रहे जिससे मै उनकी वही सेवा करता रहू जो आज कर रहा हूँ , आप खुद भी विश्वाश नहीं करेंगे की जैसे  ही मैंने लिखा था वैसे ही मुझ पर पैसों  की बौझार होने लगी आज मै उस से दुगना कमा रहा हूँ ,जो भूतनाथ वाली कॉमिक्स पोस्ट करते समय कमा रहा था,मेरा काम होम टियुसन से ज्यादा चलता है और उसी दिन मुझे अडवांस पैसे देकर लोगो ने अपने बच्चों को पढ़ने के लिए बुलवाया जो की मेरी जिन्दगी में पहली बार हुवा था. अब एक बात तो साफ़ हो गयी है की मेरा बुरा चाहने वालों से मेरा भला चाहने वाले १००० गुना से भी ज्यदा है और वो सच्चे दिल से मेरे लिए इश्वर से प्राथना करते है और इश्वर उनकी प्राथना बहुत सुनते है.
आप सब का हार्दिक धन्यवाद.
 मै भी सच्चे दिल से इश्वर से प्राथना करता हूँ की वो आप सब के घरों में धन और खुशियों की कोई कमी न रखे. और उनके लिए भी मै भगवान् से यही प्राथना करता हूँ जो मेरे लिए दुर्भावना रखते है की भगवान् उनकी भी सारी इच्छाए पूरी करें. और इस दीपावली उनका मन खुश और शांत रहे.
अब बात इस कॉमिक्स की कर ले जाये, ये कॉमिक्स भूतनाथ सिरीज़ की कॉमिक्स है और जैसा की भूतनाथ सिरीज़ की ये चौथी कॉमिक्स मेरे ब्लॉग पर अपलोड हो रही है कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स बहुत ही बेहतर है,पर विजेता भूतनाथ की तुलना में ये कुछ कमजोर दिखती है. कहानी  शुरु होती है समुन्द्र में  भागते अपराधियों को एक बोतल में मिले पत्र और नक्से से जिसमे  सोने के पहाड़ का जिक्र है. बस अपराधी उन सोने के पहाड़ को पाने की ठान लेते है और फिर शुरु होती है ये खूनी   दास्तान, जिसमे में अपराधी लेते है खूंखार डकुवों का सहारा और बेचारे असहाय जंगली लेते है भूतनाथ का सहारा. और फिर किस तरह से ये कहानी आगे बढती है ये ही इस कहानी का मुख्य आकर्षण है. आप सब इस बेहतर कहानी का आनंद ले और मेरे लिए इश्वर से प्राथना करते रहे
 मै जल्दी ही आप सब से फिर एक नयी कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलता हूँ ..........

Sunday, 11 November 2012

Tamtam-07


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"टमटम नंबर ०७"
जब ये पत्रिका मैंने पहली बार देखी थी तो मेरे दिमाग में पहला सवाल ये आया था की ये कब छपी, मैंने उससे पहले इसका नाम भी नहीं सुना था देखने के बात बहुत दूर की है, और अगर ऐसी कोई पत्रिका मेरे संग्रह में न हो तो उसे लेने की प्रबल इच्छा मेरे दिल में उत्पन्न हो जाती है, और ठीक वैसा ही हुवा. पर इसका दाम सुना तो मेरी समझ में नहीं आया की क्या करूँ. अरुण भाई कुछ दिन पहले नूतन चित्रकथा की ३ कॉमिक्स (विजेता भूतनाथ,सोने का पहाड़,देश के दुश्मन सभी भूतनाथ ) और एक कॉमिक्स अजय चित्रकथा और एक आन्नद चित्रकथा, ये सभी कॉमिक्स मेरे पास नहीं थी और अरुण के अनुसार जो आदमी इन्हें बेच रहा था, वो इनके ५०० रूपये मांग रहा था, कॉमिक्स ऐसी थी जिन्हें छोड़ने का मेरा मन तो बिलकुल भी नहीं था, पर इतना महंगा लेना भी मुझे समझदारी नहीं लग रही थी, इसलिए मैंने इन्हें लेने से मना कर दिया, और अरुण भाई से विशेष प्राथना की, वो जितना संभव हो इसका दाम कम करवाने की कोशिश करें, उन्होंने बहुत अथक मेहनत के बाद ३ मिनी डायमंड और एक टमटम बढवाने में सफल हो गए और साथ ही साथ १०० रुपये भी कम करवा दिए, यानि कुल मिला कर ९ कॉमिक्स जिनमे से ३ मिनी कॉमिक्स ४०० रुपए में मिल रही थी और तब जा कर मैंने इन कॉमिक्स को खरीद लिया. इन सब को स्कैन करने का मन है मेरा, चार कॉमिक्स तो मै कर भी चूका हूँ एक रह गयी है अगर आज टाइम मिला तो उसे भी स्कैन कर दूंगा.
 अब बात इस टमटम की कर ली जाये तो ये एक बेहतर पत्रिका है और इसकी कहानियां और पत्रिकावों से बेहतर ही जान पड़ती है साथ ही साथ दुनियां के सिनेमा के बारे दी गयी जानकारी भी बहुत ही बेहतर है. आप सब इस बेहतर पत्रिका का आनंद ले,जल्दी ही दुबारा मिलते है .....

Thursday, 8 November 2012

NCV-51-Vijeta Bhootnath


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नूतन चित्रकथा - विजेता भूतनाथ
 भूतनाथ चरित्र देवकीनंदन खत्री जी ने चंद्रकांता में दिया था, और बाद में उन्होंने भूतनाथ पर और भी पुस्तकें लिखी. पर आप किसी शंका में मत पड़िए, ये वो भूतनाथ नहीं है. हाँ नाम जरुर वहां से लिया गया है.नूतन चित्रकथा ने भूतनाथ पर सबसे ज्यदा कॉमिक्स छापी,और इनका सबसे ज्यादा चलने वाला चरित्र भी था. कहानियों की लिहाज़ से मुझे भूतनाथ की कॉमिक्स से कोई शिकायत कभी भी नहीं थी पर उस समय इतनी कॉमिक्स छपती थी की सारी कॉमिक्स खरीद पाना संभव नहीं था.
अब कुछ इस कॉमिक्स के बात कर ली जाये, इस कॉमिक्स में सनकी वैज्ञानिक और सत्ता का लोभी काबिले का सरदार मिलकर एक देश के राष्ट्रपति का अपहरण करके सत्ता पर कब्ज़ा कर लेते है,और अपनी खोज के जरिये अच्छे भले इन्सान को राक्षस बना देते है जिनपर गोलियों का असर नहीं होता है और वो अमानवीय ताकत के मालिक बन जाते है, अब अगर दुनिया पर अधिकार करना है तो भूतनाथ को रस्ते से हटाना होगा, और फिर शुरु होता है,भूतनाथ से इनके टकराव की कहानी. ये टकराव आगे क्या रंग दिखता है आप को इस बेहतरीन कॉमिक्स में पढने को मिलेगा.


आप से बस एक अनुरोध
 कृपा इश्वर से प्राथना करें,की मै अपनी हिम्मत बनाये रखने में सफल रहूँ,और इश्वर मुझे हमेशा इतना देता रहे(जाहे कॉमिक्स या पैसे) जिससे मै अपने बचपन को बचाने और आप सब को कॉमिक्स पढने के लिए देतारहूँ,आप इश्वर से मेरे लिए प्राथना करें मै जल्दी ही आप सब से फिर मिलता हूँ .........

Saturday, 3 November 2012

Tinkal-07


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टिंकल-०७
 टिंकल की कहानियों के बारे में हम लोग जानते है, बेहतर कहानिओं का खज़ाना थी ये पत्रिका.
 इसे देखकर हमेशा मुझे दो बात का दुख होता है.
एक तो इसे बंद नहीं होना चाहिए था और दूसरा इसकी १-१५ तक पूरी सागर राणा को नहीं देना चाहिए था.
ये मै अच्छे से जानता हूँ ,इनके अलावा अब वो अप्लोअड हो पाएंगी कहना बहुत मुश्किल है. फिलहाल मेरे पास जो है मैंने अपलोड कर दी अब जो ऊपर वाले की मर्ज़ी होगी वही होगा.
आज मै कुछ बात अपने बारे में करना चाहता हूँ, मै अपने समय में बहुत अच्छा छात्र नहीं था, जिसके कारन १०वि और १२वि में बहुत अच्छे नम्बर . भी नहीं आये ऊपर से मेरे पास भविष्य के बारे में जानकारी रखने का न को जरिया था और न कोई इच्छा, नतीजा ये निकला की स्नातक मैथ से करने के बाद भी कोई नौकरी नहीं मिली, और मजबूरन मार्केटिंग करनी पड़ी और वो भी जीवन वीमा के झेत्र में, २००४ से लेकर २०११ तक ,पर किस्मत को ये भी रास नहीं आया मुझे २००७ से पैर के बाये घुटने में चोट लगी और लेगामेंट ने जबाब दे दिया पहले तो मैंने इस चोट गंभीरता से नहीं लिया पर जब ये चोट ४ सालों में ठीक नहीं हुयी तो मैंने पिछले साल मार्केटिंग छोड़ने का फैसला कर लिया और बी.एड. करने का फैसला किया और किया भी, पूरे साल बिना नौकरी और बिना पैसे के बिताना कैसा था वो मै ही जानता हूँ .
बस ऊपर वाले की दया बनी रही की मुझे होम टीयूसन मिलते रहे जिससे मेरा खर्चा किसी तरह चलता रहा, अभी B.एड. का रिजल्ट आया है, और एक स्कूल में पढ़ा रहा हूँ , स्कूल मुझे ६००० रूपये महिना देता है जिसके लिए मै सुबह ७ बजे घर छोड़ देता हूँ और फिर ३ बजे से होम टीयूसन रात ८ बजे तक फिर ९.३० तक घर पहुचता हूँ जिससे मै महीने में कुल मिला कर १२००० रूपये कम लेता हूँ अगर मै अपने पापा के साथ न रह रहा होता तो मै इस महगाई में जिन्दा ही नहीं रह पता.
मै एक एक पैसा खून पसीना एक करके कमाता हूँ ,और कॉमिक्स खरीदना इस मौहोल में मेरे लिए बहुत मुश्किल है, फिर भी मै ये काम अपना पेट काट करता हूँ . और यहाँ कुछ लोग है जो मुझे नीचा दिखाने के लिए कितना भी नीचा गिरने को तैयार बैठे है. मै उनसे बस इतना ही कहना चाहता हूँ की कही मुझे नीचा निखाने के चक्कर में आप इतना नीचे न चले जाये की आप को माइक्रोस्कोप से देखना पड़े.
अगर मै अपनी चीज़ किसी को नहीं देना चाहता तो इसमें मेरी क्या गलती है,
 आप के पास पैसा तो हो सकता है पर मेरी कॉमिक्स अब आप के पास नहीं हो सकती चाहे आप जैसे भी कोशिश कर लें.
आप मुझे दलाल बोले,विश्वास घाती बोले ,धोखेबाज़ बोले मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. पर यदि आप सच्चे कॉमिक्स प्रेमी है तो वो काम करिए जो इन कॉमिक्स को जिन्दा रखने के लिए जरुरी है,
 न मै, न आप हमेशा जिन्दा रहने वाले है पर अगर आप ने कॉमिक्स को अपने बक्से में रखते गए और उन्हें कही भी अपलोड नहीं किया तो फिर उनका अस्तिव हमेशा के लिए ख़तम हो जायेगा.
मुझे कोसने से मेरी कॉमिक्स आप को कभी भी नहीं मिलेगी चाहे जितना शोर मचा लीजिये.
 मै जितना भी मेहनत से कमाता हूँ मेरा काम उतने से चल जाता है. मुझे और किसी का लालच नहीं है.
 मै आप सभी लोगों से अनुरोध करता हूँ की यदि संभव हो तो आप सब मेरा हौसला बढायें,और ऐसे किसी इंसान को कॉमिक्स न दे जो सिर्फ बक्से में बंद करके रखता हो और अगर कभी भी देना ही पड़े तो कम से कम स्कैन करके उसे सबके साथ बांटे और इसके लिए मेरा ये ब्लॉग हमेशा आप के साथ है......

Pawan Comics - Tasvir ka Rahasya


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Pawan Comics - Tawij ka Chamatkar


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Pawan Comics - Tufani Bomb


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TC - 480 Angara Tibbat Mein


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TC - 561 Angara Aur Panchmukhi


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Thursday, 1 November 2012

SET NO. 95


















MCK(S)-556 इच्छाधारी नागिन
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MCK(S)-557 दीवाने दौलत के
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MCK(S)-558 बहू का इन्तेकाम
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MCK(S)-559 हवलदार बहादुर और डाकुओं का गिरोह
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MCK(S)-560 जासूसों की ज़ंग
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MCK(S)-561 मायावन के कैदी
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MCK(S)-562 जानी दुश्मन
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MCK(S)-563 कंजूस का धन
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MCK(S)-564 धूर्त मक्राल और दयालु तारामणि
http://www.mediafire.com/download.php?vb3p2a4vjhtbv0o

MCK(S)-565 साँप की चोरी
http://www.mediafire.com/download.php?8yskto8cbfoolec

MCK(S)-566 पाँच पापी
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MCK(S)-567 हीरों के चोर
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MCK(S)-568 सीक्रेट फाइल की चोरी
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MCK(S)-569 दोस्त और दुश्मन
http://www.mediafire. com/download.php?vtc49nbsvfw4bfd

MCK(S)-570 नागिन बनी सुहागिन
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MCK(S)-571 क्रुक बोंड और नोटों की चिता
http://www.mediafire.com/download.php?xw50x6v79olwqpg

MCK(S)-572 दो साल का राजा
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MC-1112-Ma Ka Karz

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