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इंद्रजाल कॉमिक्स--Vol-26-01-रहेस्यमय जोड़ा
इंद्रजाल कॉमिक्स, हिंदी कॉमिक्स प्रकाशन का पहला कॉमिक्स प्रकाशन। यही कारण है कि इस कॉमिक्स प्रकाशन का संग्रह 90% हिंदी कॉमिक्स संग्रहकर्ता करना चाहता है।(मै उन 10% में से हूँ ). इस कॉमिक्स प्रकाशन ने मुझे कभी भी ऐसा आकर्षित नहीं किया की मेरा मन इनका संग्रह करने के लिए पागल हो जाए। संग्रह करने के लिए अगर किसी प्रकाशन ने मुझे पागल बनाया था तो वो है राज कॉमिक्स जिसके नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स का संग्रह मैंने पागलों की तरह किया। यहाँ तक इन दोनों की एक कॉमिक्स के लगभग ५-५ कॉमिक्स होगी। बस नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स हो तो मुझे ये फर्क नहीं पड़ता है की वो कॉमिक्स मेरे पास है की नहीं मै उन्हें खरीद ही लेता हूँ।
उसके बाद मनोज कॉमिक्स में "टोटान","विध्वंस","जटायु","आक्रोश", और "राम-रहीम", की कॉमिक्स भी मैंने पागलों की तरह से ढूढ़- ढूंढ़ कर इकट्ठी की। बाकी का तो ऐसा है की मिल गई तो संग्रह हो गया और नहीं मिला तो कोई बात नहीं है। हाँ इतना जरुर रहा की संग्रह में आने के बाद उन कॉमिक्स से भी मुझे वही प्यार रहा जो मेरी मनपसंद से था पर पैसा देते समय मैंने उन्हें उतना प्यार कभी भी नहीं दिया होगा और ना ही आगे ऐसा करने का कोई इरादा है।
हाँ कुछ लोगो ने मेरी इस आदत का गलत मतलब लगाया था और उन कॉमिक्स की मांग की। पर मेरे लिए ये बात कुछ ऐसी ही है जैसे की आप नहीं चाहते की आप का अभी कोई बच्चा हो पर अगर हो जाये तो आप उसे किसी भी बच्चे से कम प्यार नहीं देते और कभी कभी ज्यदा ही प्यार देने लगते है। संग्रह में आने के बाद वो कॉमिक्स मेरे लिए बाकी कॉमिक्स की तरह ही प्यारी है और मैं उन्हें किसी को देने में उसी तरह से असमर्थ महसूस करता हूँ,जैसे अपनी मनपसंद कॉमिक्स को देने में करता हूँ।
जैसा की आप सब को पता ही होगा कि आजकल मै बुरी तरह से व्यस्त हूँ। मेरा बच्चा भी अब स्कूल जाने लगा है वो भी मेरे ही साथ,उसके ले जाना और फिर ले आना। और फिर उसके बाद कोचिंग के लिए दुबारा जाना बहुत थका देने वाला काम है। स्कूल सुबह ७:१५ से लगता है पर एक एक्स्ट्रा क्लास लेने के कारण ७:00 स्कूल पहुचना होता है और स्कूल मेरे घर से १० km है मतलब ६:३० पर घर छोड़ना,और १:०० बच्चे को लेकर वापस घर और फिर ३:०० बजे से वापस १५ km घर-घर जाकर पढ़ना जो की रात के १०:०० बजा देता है। उसके बाद कुछ भी करने की हिम्मत नहीं पड़ती , कॉमिक्स स्कैन करना तो दूर की बात है।
मै इस तरह की जिन्दगी का आदी भी नहीं था इसलिए थकान कुछ ज्यदा महसूस हो रही थी पर अब मुझे कुछ आदत सी पड़ने लगी है और स्कूल में काम करने का जो सबसे बड़ा फ़ायदा है वो ये की वहां छुट्टियाँ खूब पड़ती है। गर्मियों की छुट्टियाँ तो अभी आनी ही है और भी बहुत छुट्टियाँ होती है। उम्मीद है कि मै स्कूल की छुट्टियों का सही इस्तेमाल कर के कॉमिक्स स्कैनिंग और अपलोड में थोड़ी तेज़ी ला पाउँगा बाकी तो सब समय के हाथ में है।
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इंद्रजाल कॉमिक्स--Vol-26-01-रहेस्यमय जोड़ा
इंद्रजाल कॉमिक्स, हिंदी कॉमिक्स प्रकाशन का पहला कॉमिक्स प्रकाशन। यही कारण है कि इस कॉमिक्स प्रकाशन का संग्रह 90% हिंदी कॉमिक्स संग्रहकर्ता करना चाहता है।(मै उन 10% में से हूँ ). इस कॉमिक्स प्रकाशन ने मुझे कभी भी ऐसा आकर्षित नहीं किया की मेरा मन इनका संग्रह करने के लिए पागल हो जाए। संग्रह करने के लिए अगर किसी प्रकाशन ने मुझे पागल बनाया था तो वो है राज कॉमिक्स जिसके नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स का संग्रह मैंने पागलों की तरह किया। यहाँ तक इन दोनों की एक कॉमिक्स के लगभग ५-५ कॉमिक्स होगी। बस नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की कॉमिक्स हो तो मुझे ये फर्क नहीं पड़ता है की वो कॉमिक्स मेरे पास है की नहीं मै उन्हें खरीद ही लेता हूँ।
उसके बाद मनोज कॉमिक्स में "टोटान","विध्वंस","जटायु","आक्रोश", और "राम-रहीम", की कॉमिक्स भी मैंने पागलों की तरह से ढूढ़- ढूंढ़ कर इकट्ठी की। बाकी का तो ऐसा है की मिल गई तो संग्रह हो गया और नहीं मिला तो कोई बात नहीं है। हाँ इतना जरुर रहा की संग्रह में आने के बाद उन कॉमिक्स से भी मुझे वही प्यार रहा जो मेरी मनपसंद से था पर पैसा देते समय मैंने उन्हें उतना प्यार कभी भी नहीं दिया होगा और ना ही आगे ऐसा करने का कोई इरादा है।
हाँ कुछ लोगो ने मेरी इस आदत का गलत मतलब लगाया था और उन कॉमिक्स की मांग की। पर मेरे लिए ये बात कुछ ऐसी ही है जैसे की आप नहीं चाहते की आप का अभी कोई बच्चा हो पर अगर हो जाये तो आप उसे किसी भी बच्चे से कम प्यार नहीं देते और कभी कभी ज्यदा ही प्यार देने लगते है। संग्रह में आने के बाद वो कॉमिक्स मेरे लिए बाकी कॉमिक्स की तरह ही प्यारी है और मैं उन्हें किसी को देने में उसी तरह से असमर्थ महसूस करता हूँ,जैसे अपनी मनपसंद कॉमिक्स को देने में करता हूँ।
जैसा की आप सब को पता ही होगा कि आजकल मै बुरी तरह से व्यस्त हूँ। मेरा बच्चा भी अब स्कूल जाने लगा है वो भी मेरे ही साथ,उसके ले जाना और फिर ले आना। और फिर उसके बाद कोचिंग के लिए दुबारा जाना बहुत थका देने वाला काम है। स्कूल सुबह ७:१५ से लगता है पर एक एक्स्ट्रा क्लास लेने के कारण ७:00 स्कूल पहुचना होता है और स्कूल मेरे घर से १० km है मतलब ६:३० पर घर छोड़ना,और १:०० बच्चे को लेकर वापस घर और फिर ३:०० बजे से वापस १५ km घर-घर जाकर पढ़ना जो की रात के १०:०० बजा देता है। उसके बाद कुछ भी करने की हिम्मत नहीं पड़ती , कॉमिक्स स्कैन करना तो दूर की बात है।
मै इस तरह की जिन्दगी का आदी भी नहीं था इसलिए थकान कुछ ज्यदा महसूस हो रही थी पर अब मुझे कुछ आदत सी पड़ने लगी है और स्कूल में काम करने का जो सबसे बड़ा फ़ायदा है वो ये की वहां छुट्टियाँ खूब पड़ती है। गर्मियों की छुट्टियाँ तो अभी आनी ही है और भी बहुत छुट्टियाँ होती है। उम्मीद है कि मै स्कूल की छुट्टियों का सही इस्तेमाल कर के कॉमिक्स स्कैनिंग और अपलोड में थोड़ी तेज़ी ला पाउँगा बाकी तो सब समय के हाथ में है।