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चित्रभारती कथामाला-बातों का बादशाह
पहले बात इस प्रकाशन की कर ली जाए,चित्रभारती कथामाला एस.चाँद प्रकाशन ने कॉमिक्स भी छापी थी,ये बात मुझे अभी सिर्फ 5 साल पहले मालूम हुई थी,वो भी अनुपम अग्रवाल जी द्वारा। तब वो चित्रभारती कॉमिक्स का संग्रह कर रहे थे और मुझे तो इस बारे में कुछ पता ही नहीं था और उनका इनके संग्रह करने के पीछे जो कारण था वो अनुपम सिन्हा जी का सुरु का काम जो की चित्रभारती में ही आया था। मै तो एस .चाँद वालों को तो सिर्फ अपनी कोर्स की किताबों के कारण जनता था।फिर उनके आग्रह पर मैंने चित्रभारती कथामाला उनके लिए ढूँढना सुरु किया।और मुझे ये कॉमिक्स मिलनी सुरु हो गयी आज मेरे पास भी इस प्रकाशन की कई कॉमिक्स हो गयी है।
अब बात इस कॉमिक्स की कहानी पर कर ली जाये . कहानी में सबसे अहम् होता है उसका नाम,और इस कहानी के साथ भी कुछ ऐसा ही है नाम है "बातों का बादशाह" मेरी समझ में जो इस नाम से आया था वो ये की ये किसी ऐसे इन्सान की कहानी होगी जो सिर्फ बात ही करता होगा,जैसा की अक्सर होता है,हम बाते तो बड़ी-बड़ी कर देते है पर काम कुछ नहीं हो पता।
पर इस कहानी में एक ऐसे बातूनी की कहानी है जो अपने बातों से अपना जीवन बना डालता है। जो की मेरे हिसाब से बिलकुल भी नहीं संभव है। इंसान को कर्म प्रधान होना चाहिए न की शब्द प्रधान। अगर मै कहानी की बात करूँ तो मुझे ये कहानी बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी,पहला कारण तो ऊपर है लिख चूका हूँ। और बातों से अपना जीवन बनाने वाले बातूनी की सफलता को दिखाने में काफी झोल है,जो की गले नहीं उतरती। फिर भी आप इस कहानी का आनंद लेने की कोशिश करे फिर जल्दी ही मिलते है .........
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