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नूतन चित्रकथा - चलते पुर्जे
ये नूतन चित्रकथा में अमर-अकबर सिरीज़ की पहली कॉमिक्स होनी चाहिए,और तो और ये नूतन चित्रकथा की भी पहली कॉमिक्स होनी चाहीये (पर इसका पूर्ण ज्ञान मुझे नहीं है). राम-रहीम की कॉमिक्स के पहले या फिर साथ साथ ही अमर-अकबर का उदय कॉमिक्स की दुनिया हुवा था,और ये नूतन चित्रकथा में सबसे ज्यादा बिकने वाले चरित्र में से एक था। कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स बिलकुल राम-रहीम की कॉमिक्स जैसे ही होते थे। पर जो काम राम-रहीम की कहानियों के साथ "विमल चटर्जी" जी ने किया वो काम यहाँ नहीं हो पाया, पर फिर इनकी कहानिया बहुत ही अच्छी होती थी अगर चित्रों ने बेहतर तरीके से इनकी कहानियों का साथ दिया होता तो शायद हम राम-रहीम से ज्यादा अमर-अकबर को पढ़ते।
हाँ अब डायमंड कॉमिक्स की पुरानी कॉमिक्स पढने वालों के लिए खुशखबरी है ,डायमंड कॉमिक्स ने अपने पुराने कॉमिक्स दुबारा से प्रिंट करना शुरू कर दिया है,अब हमें किसी को भी फालतू पैसे देकर उन्हें खरीदने की जरुरत नहीं है वो बाज़ार में 30 रूपये/कॉमिक्स में उपलब्ध है। वहां से कॉमिक्स ख़रीदे जिससे डायमंड कॉमिक्स बाकि बचे हुवे कॉमिक्स भी प्रिंट कर दे।
अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये। बहुत ही बेहतर कहानी है,और कहानी का रहस्य आखरी पन्नो में ही खुलता है, कहानी तेज़ रफ़्तार है और बांध कर रखता है।
डागर ने अमर-अकबर को लगाया एक गुडिया की खोज में और किया मालामाल करने का वादा और जब इन दोनों ने शुरु की गुडिया खोज करने का काम तो शुरू हुवा हत्याए होने का सिलसिला।
फिर क्या हुवा ?
क्या अमर-अकबर गुडिया की खोज कर सके?
गुडिया में ऐसा क्या था जिसके लिए कई हत्याएं हवी?
आप इस बेहतर कॉमिक्स का आनंद ले फिर मिलते है ......
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नूतन चित्रकथा - चलते पुर्जे
ये नूतन चित्रकथा में अमर-अकबर सिरीज़ की पहली कॉमिक्स होनी चाहिए,और तो और ये नूतन चित्रकथा की भी पहली कॉमिक्स होनी चाहीये (पर इसका पूर्ण ज्ञान मुझे नहीं है). राम-रहीम की कॉमिक्स के पहले या फिर साथ साथ ही अमर-अकबर का उदय कॉमिक्स की दुनिया हुवा था,और ये नूतन चित्रकथा में सबसे ज्यादा बिकने वाले चरित्र में से एक था। कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स बिलकुल राम-रहीम की कॉमिक्स जैसे ही होते थे। पर जो काम राम-रहीम की कहानियों के साथ "विमल चटर्जी" जी ने किया वो काम यहाँ नहीं हो पाया, पर फिर इनकी कहानिया बहुत ही अच्छी होती थी अगर चित्रों ने बेहतर तरीके से इनकी कहानियों का साथ दिया होता तो शायद हम राम-रहीम से ज्यादा अमर-अकबर को पढ़ते।
हाँ अब डायमंड कॉमिक्स की पुरानी कॉमिक्स पढने वालों के लिए खुशखबरी है ,डायमंड कॉमिक्स ने अपने पुराने कॉमिक्स दुबारा से प्रिंट करना शुरू कर दिया है,अब हमें किसी को भी फालतू पैसे देकर उन्हें खरीदने की जरुरत नहीं है वो बाज़ार में 30 रूपये/कॉमिक्स में उपलब्ध है। वहां से कॉमिक्स ख़रीदे जिससे डायमंड कॉमिक्स बाकि बचे हुवे कॉमिक्स भी प्रिंट कर दे।
अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये। बहुत ही बेहतर कहानी है,और कहानी का रहस्य आखरी पन्नो में ही खुलता है, कहानी तेज़ रफ़्तार है और बांध कर रखता है।
डागर ने अमर-अकबर को लगाया एक गुडिया की खोज में और किया मालामाल करने का वादा और जब इन दोनों ने शुरु की गुडिया खोज करने का काम तो शुरू हुवा हत्याए होने का सिलसिला।
फिर क्या हुवा ?
क्या अमर-अकबर गुडिया की खोज कर सके?
गुडिया में ऐसा क्या था जिसके लिए कई हत्याएं हवी?
आप इस बेहतर कॉमिक्स का आनंद ले फिर मिलते है ......
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