Thursday 31 January 2013

Chitrabharti Kathamala-08- Chocolate No.08


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चित्रभारती कथामाला-08-चॉकलेट संख्या 08
 चॉकलेट की मेरी तरफ से 7वीं क़िस्त है,और इसके बाद मेरे पास सिर्फ 11 no. की चॉकलेट और बची है। जो की अनुपम अग्रवाल जी के ब्लॉग पर अपलोड है, फिर भी मै उस कॉमिक्स को स्कैन करने का मन तो बना रखा है, पर देखते है की आगे क्या होता है। चॉकलेट सीरीज की सभी कॉमिक्स को मै अपलोड नहीं कर पा रहा हूँ, मेरे पास no. 6 ,9,10 नहीं है। लेकिन जैसा की मेरे साथ ज्यदातर होता है की कॉमिक्स कही न कही से मिल ही जाती है या फिर कोई मित्र उन्हें कही ना कही अपलोड कर ही देता है इस बार भी ऐसा ही होगा और ये सीरीज जरुर पूरी होगी। बस ये देखना है की वो दिन कब आता है पर आएगा जरुर।

 आज कुछ अलग बात करने का मन कर रहा है। हम सभी जानते है की हम सब सम्मान के भूखे है, और मै भी हूँ। पर जब मै बहुत गहन विचार करता हूँ तो ये पता हूँ की हम किसी का सम्मान या कोई हमारा सम्मान तीन कारणों से ही करता हैं।
 1- हम किसी लालच के बस में रह कर सम्मान करते है।
 2- हम डर के कारण भी सम्मान करते है।
 3- हम में किसी के प्रति एक अनुराग पैदा हो जाता है जिसके कारण हम किसी का सम्मान करने लगते है।
सच्चाई से देखा जाये तो हम 90% पहले दो कारणों से सम्मान पाते है या देते है।
 तीसरा कारण तो बहुत ही कम देखने को मिलता है। यानी हमारा सम्मान करने वालों में 90% चाटुकार हो सकते है जिनको शायद हम अपना शुभ चिंतक या अपना सम्मान करने वाला समझने लगते है।
 वैसे तो मै पहले दो कारणों से सम्मान नहीं करता,पर फिर भी कुछ चीज़े ऐसी है जिनसे आप नहीं बच सकते, जैसे आप का मालिक(जहाँ आप काम करते है वहां का सर्वेसर्वा) वो कैसा भी हो आप को उसका सम्मान उसके सामने करना ही पड़ता है। कई जगह मैंने भी डर के कारण औरों से बहुत कम फिर भी सम्मान किया तो है,
 हाँ इतना तो जरुर है की अभी तक लालच के कारण तो कभी किसी का सम्मान नहीं किया है, जबकि लालच से सम्मान करने वाले आप को हर कदम पर मिलेंगे।
 अब सवाल ये उठता है की हम इसकी पहचान कैसे करे, तो एक सीधा सा तरीका है की अगर आप किसी को फ़ायदा पंहुचा रहे है या फिर आप के कारण किसी को फ़ायदा हो रहा है तो उसके चाटुकार होने के सबसे ज्यदा तुक बैठता है। पर हर मदद पाने वाला सच्चा इंसान भी हो सकता है, फिर क्या करें , तो उसे इस बात का अहसास दिलाये की अब आप उसके कोई काम नहीं आयेंगे और उसकी मदद कुछ समय तक बंद कर दें अगर वो फिर भी आप का सम्मान करता रह सकता है फिर तो सच्चा है नहीं तो फिर वो चाटुकार ही था।
सम्मान पाने का एक तरीका सम्मान खरीदना भी हो सकता है, जैसे आप किसी भिखारी तो 5 रूपये दे दें तो वो सम्मान में आप के पैर भी छु लेगा। पर ये तो कोई सम्मान नहीं हुवा।
असली सम्मान तो तभी होता है जब कोई आप को सम्मान दे पर आप से उससे कोई ऐसा फ़ायदा न पहुँच रहा हो जो की आप को सम्मान देने के लिए जरुरी है। और ऐसा सम्मान बहुत मुश्किल से ही मिलती है, इसलिए मै ऐसा कोई काम नहीं करता तो किसी को मेरा सम्मान करने पर मजबूर करे।
 चाहे कोई मेरा सम्मान करे चाहे न करे पर कोयी मजबूर हो कर तो मेरा सम्मान बिलकुल भी नहीं करे। वैसे तो मै अपनी जिन्दगी में कई लोगो की दिल से इज्ज़त करता हूँ,
पर अगर मै कॉमिक्स की दुनिया के लोगो की बात करूँ तो ये कुछ वो लोग है जिनसे मुझे कोई फ़ायदा होने की कोई उम्मीद नहीं रहती पर दिल उनकी इज्ज़त करता ही है।
 1-श्री अनुपम अग्रवाल-जिनके कारण मैंने ये जाना की कॉमिक्स को अपलोड करके बचाया जा सकता है। वो जो भी लिखते है बहुत ही नपा-तुला होता है,उनकी हर बात मुझे कुछ नया सिखाती है,मै उनकी बराबरी करना तो चाहता हूँ पर मै जानता  हूँ ये कभी संभव नहीं है।
 2-श्री मोहित राघव-इनके कारण मैंने ये जाना कॉमिक्स स्कैन करते कैसे है, हर कदम पर इन्होने मेरा प्रोत्साहन किया,जितना काम इन्होने कॉमिक्स के लिए किया उतना तो मै हमेशा से करना चाहता हूँ पर मै ये भी जानता  हूँ की ये तो बिलकुल असंभव है।
 3-श्री सागर जंग राणा- इनका नाम तो मै बिलकुल भी नहीं लिखना चाहता था पर अगर मै ये न करूँ तो मै अपने साथ ही धोखा करता हूँ। एक इंसान के रूप में मै इनका बिलकुल भी सम्मान नहीं करता ( सागर जी माफ़ी मांगता हूँ). पर एक कॉमिक्स संग्रहकर्ता के रूप में इनका बिकल्प नहीं है, अगर मै कॉमिक्स से प्रेम करता हूँ तो संग्रहकर्ता के रूप में इनका सम्मान तो अपने आप ही दिल में आ ही जाता है। कॉमिक्स के प्रति इतना प्रेम, मै भी बिलकुल ऐसा ही चाहता हूँ, पर मै इसका 10% भी नहीं कर सकता।
ये मेरे इन तीनो के प्रति अपने विचार है और मै इन सब से अग्रिम माफ़ी मांगता हूँ अगर किसी को भी मेरी कोई भी बात बुरी लगी हो।
आप ने मेरे अन्दर से निकली ये बाते आज जानी है। फिर कभी अपने अन्दर कुछ और भी बाहर निकालूँगा, तब तक आप इस बेहतर चॉकलेट का आनंद लें फिर जल्दी ही दुबारा मिलते है। ..............

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