Wednesday 6 February 2013

Pawan Comics-Super Power Vikrant


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पवन कॉमिक्स-सुपर पॉवर विक्रांत
 पवन कॉमिक्स में सुपर हीरो वाली छाप वाले चरित्र बहुत ही कम छपे थे। मुझे जितना याद पड़ता है,ढेर सारी सुपर पवार वाले चरित्र, जो की पवन कॉमिक्स में छपे थे उनमे "चट्टान सिंह", "सुर्यपुत्र" और "सुपर पवार विक्रांत" ही थे। "चट्टान सिंह" की कॉमिक्स तो मुझे उस समय पढने को नहीं मिली थी पर "सुर्यपुत्र" और "सुपर पवार विक्रांत" की कॉमिक्स मैंने पढ़ी भी थी और पसंद भी बहुत आई थी। पर समय की आंधी में सब कुछ जैसे बह सा गया था,मुझे कभी भी नहीं लगा था की ये कॉमिक्स दुबारा पढने को मिलेंगी। "सुर्यपुत्र" और 'सुपर पवार विक्रांत' की एक भी कॉमिक्स नहीं थी, फिर मुझे सुर्यपुत्र की एक कॉमिक्स "प्रदीप शेरावत" जी ने भेजी और उसके बाद तो एक के बाद एक कॉमिक्स मुझे मिलने लगी और आज "सुर्यपुत्र" की सारी प्रकाशित कॉमिक्स मेरे पास है,जिसमे "सुर्यपुत्र" कॉमिक्स देवेन्द्र भाई की दी हुई है, ये कॉमिक्स भी उन्ही की है। सुपर पवार विक्रांत की एक दो कॉमिक्स को छोड़ का सही मै आज की तारीख में अपलोड करने की स्तिथि में हूँ और जल्दी ही मै ये कर भी दूंगा।
 आज कल मेरी जिन्दगी में बहुत कुछ बहुत जल्दी-जल्दी घट रहा है जो की मेरी जिन्दगी और सोच दोनों को ही प्रभावित कर रहा है। आज उन घटनाओं से प्रभावित हो कर मै फिर एक बहुत्र ही विशेष शब्द "प्रतिस्पर्धा" पर अपने विचार लिख रहा हूँ,कोई जरुरी नहीं की आप मेरे विचार से सहमत हों, बस आप इसे मेरी सोच समझ कर उससे सहमत या असहमत हो सकते है।
 Darwinian 'survival-of-the-fittest'
 "सर डार्विन" के अनुसार जो बेहतर होता है वही जिन्दा रहता है,यही जंगल का कानून भी है जो शेर से कम तेज़ दौड़ता वो मारा जाता है। परन्तु जब मनुष्य ने समाज का निर्माण किया तो सभी को बराबर का अधिकार मिल गया,और कमजोरों के लिए जीने का एक बेहतरीन मौका। था तो ये प्रकृति के विरुद्ध ही पर मनुष्य जाती के उत्थान के लिए बहुत ही जरुरी। पर जो हमारे अन्दर का जानवर है उसने इस प्रतिस्पर्धा को एक नया रूप दे दिया,पढाई में अच्छे नंबर लाने की प्रतिस्पर्धा,नौकरी में अपनी नौकरी बचाने और औरों से बेहतर करने की प्रतिस्पर्धा,अपने आप को दूसरों से बेहतर साबित करने की प्रतिस्पर्धा।
कहने का अर्थ ये है प्रतिस्पर्धा भले ही जान पर न बनती है पर जीना जरूर हराम कर देती है। पर प्रतिस्पर्धा है तो प्रतियोगी तो आप को बनना ही पड़ता है,चाहे आप चाहे, चाहे न चाहे। प्रतिस्पर्धा हमेशा बेहतर करने के लिए प्रेरित करती है अगर आप उसे सही तरीके और नियमो के साथ करते है, उससे भी ज्यदा जरुरी सही सोच के साथ करते है। अब प्रतिस्पर्धा में सही सोच का क्या मतलब है, तो मै आप को समझता हूँ, अगर मेरी किसी के साथ प्रतिस्पर्धा है तो मै इश्वर से प्रार्थना करूँ की सामने वाला बीमार हो जाये और मै जीत जाऊं,या कुछ ऐसा कर दूँ की तो ये प्रतियोगिता छोड़ दे.पर मज़ा तो तब है जब सामने वाला पूरी तैयारी के साथ लड़े तो उसमे तो हारने में भी मज़ा है।
 पर सच कहूँ जब कोई मुझ से कहता है की मैं तुमसे बेहतर करके दिखा दूंगा तब मै समझ जाता हूँ कि इसके बस का कुछ भी नहीं है,जिसने पहले से ही मुझे बेहतर मान लिया हो वो मुझ से क्या जीत पायेगा,और अगर कही गलती से जीत भी गया तब भी कभी तरक्की नहीं कर पायेगा। अब ऐसे में तो आप किसी से प्रतिस्पर्धा कर ही नहीं पाएंगे तो फिर ऐसा क्या करें की हम किसी से प्रतिस्पर्धा करें भी नहीं, और हम तरक्की भी करते जाये।जहाँ तक मेरा विचार है की तरक्की के लिए प्रतिस्पर्धा जरुरी है,पर अगर हम किसी को अपना प्रतियोगी मान लेते है तो फिर जाने-अनजाने हमारे मन में उसके प्रति दुर्भावना घर कर जाती है जिससे हमारा मानसिक और नैतिक स्तर गिर जाता है,उसके बाद जीतने/तरक्की तो भूल जाईये अपना साधारण स्तर भी कायम नहीं रह पाता है।
ऐसे में हमें करना क्या चाहिए और किसे अपना प्रतियोगी बनाया जाए?
जहाँ तक मैंने समझा है की अगर आप को तरक्की करना है और हमेशा करते रहना है तो आप को किसी से भी प्रतिस्पर्धा नहीं करनी चाहिए बल्कि प्रतिस्पर्धा अपने आप से ही करनी चाहिए। जैसा की मै आज तक करता आया हूँ,मैंने कभी भी ये नहीं सोचा की मुझ से बेहतर कौन है और मुझ से कम बेहतर कौन है,मैंने बस सिर्फ एक बात सोची है की मैंने कल जो किया था आज उससे बेहतर हो पा रहा है की नहीं और आज जो कर रहा हूँ, कल उससे बेहतर करने की पूरी कोशिश करूँगा। चाहे वो स्कूल में पढ़ाना हो या फिर कॉमिक्स स्कैन और अपलोड करने से साथ उस बारे में कुछ लिखना हो, बस वो पहले से बेहतर होना चाहिए और अगर नहीं हो पा रहा है तो कम से कम पहले जितना तो जरुर हो। अगर आप उन बच्चो से बात करेंगे या आप मेरे पुराने कॉमिक्स अपलोड करके पढेंगे तो आप पाएंगे की वो पहले से बेहतर होते चले गए है और आगे भी ऐसा ही होना चाहिए। इससे मुझे सबसे बड़ा फ़ायदा ये है  कि मै हमेशा तरक्की करता रहता हूँ और किसी को लेकर मेरे मन में कोई दुर्भावना नहीं आती और न ही किसी के अच्छे और ख़राब काम को देख कर कोई जलन या कोई चिड भी नहीं होती। मैंने आज तक ऐसा ही किया है और आगे भी ऐसा ही करता रहूँगा।
आज फिर काफी बात हो गयी है, उम्मीद है आप सब को मेरी बाते अनुचित नहीं लगी होंगी।
 आप सब इस बेहतर कॉमिक्स का आनंद ले फिर जल्दी की एक नयी कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलते है .....

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