Saturday 26 October 2013

Indrajaal Comics-26-11-rakhjhasi chidiy


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इंद्रजाल कॉमिक्स, खण्ड-२६-11-राक्षसी चिड़िया भाग २
आप सब को मेरी आदत में बारे में पता ही होगा की मुझे फेसबुक का आना बहुत ही कम पसंद है और ऐसा क्यों है मेरे लिए ये भी कहना मुश्किल है। आज तक मै खुद भी ये नहीं समझ पाया की ऐसा क्यों है पर ऐसा बराबर है। और जब आप की चीज़ में कम इस्तेमाल करेंगे तो उसके बारे में भी कम जान पाएंगे। आज तक मुझे ये नहीं पता चल पाया है की आप के फेस बुक पर आई फ्रेंड रिक्वेस्ट कहाँ पर से देखते है।जिसे कारण मेरे कई मित्रों की फ्रेंड रिक्वेस्ट कई हफ़्तों तक पड़ी रहती है और मुझे पता भी नहीं चलता। और उनको लगता है की मै उन्हें महत्त्व नहीं दे रहा हूँ जब की ऐसा कभी हो ही नहीं सकता।

हाँ अभी कुछ दिन पहले फेसबुक पर आने पर एक आर्टिकल पढ़ा राज कॉमिक्स के बढ़ते दाम और घटते कहानी के स्तर के बारे में।जहाँ तक कॉमिक्स के घटते कहानी के स्तर की बात है तो मुझे लगता है आज भी वो वैसा ही है जैसे आज से २० साल पहले था बस हमारा स्तर थोडा ज्यादा बढ़ गया है तब हम छोटे थे तो नागराज के हाथ से सांप निकलना हमें आंदोलित करता था और आज बकवास सा लगता है। सुपर कमांडो ध्रुव का जानवरों से बात करना बहुत सुकून देता था और आज लगता है ये तो संभव नहीं हो सकता। बौद्धिक स्तर बढ़ने के कारण ही ऐसा है इसलिए हमें आज की कहानी पहले से ख़राब लगती है पर अगर आप थोडा ठन्डे दिमाग से सोचे तो आज की कहानियां पहले की तुलना में ज्यदा लॉजिकल होती है।

और अगर बात कॉमिक्स के दाम की करी जाये तो यहाँ राज कॉमिक्स और हम यानि कॉमिक्स पढने वाले दोनों बराबर दोषी है। राज कॉमिक्स , कॉमिक्स के बुरे दौर में भी अपना फ़ायदा तलाश कर रहे है जबकि उन्हें अच्छे से पता है की अब हिंदी कॉमिक्स का समय ख़तम हो रहा है और अगर कुछ अलग न की किया गया तो सब कुछ ख़तम हो जायेगा। वो जानते है की कॉमिक्स को खरीद कर अगर १००० लोग पढ़ते है तो वो अपनी लगत और फ़ायदा इन्ही से निकालने की कोशिश करते है चाहे कॉमिक्स के दाम कुछ भी क्यों न पहुच जाए। और अगर हम अपनी बात करें तो हम अग्रेजी में टिनटिन या सुपरमैन की कोई कॉमिक्स खरीदने जाएँ तो उसका दाम ५०० से १००० भी कम है पर अगर हम उसी स्तर की कॉमिक्स हिंदी में १०० में खरीदने जाएँ तो वो बहुत ज्यदा हो जाता है। दोनों को अपने को अपने विचारो में परिवर्तन लाना होगा वरना कुछ बचेगा नहीं। और अगर मै अपनी बात करूँ तो मेरे लिए ये ही बहुत है की राज कॉमिक्स वाले कॉमिक्स प्रकाशित कर रहे है चाहे उसके दाम कुछ भी हो और कहानी का स्तर कुछ भी हो मेरे लिए ये कोई मुद्दा कभी नहीं है और न कभी होगा। मै अपने सुनहरे बचपन के लिए इतनी कीमत तो अदा कर ही सकता हूँ। साल का मुश्किल से १००० रु।

 अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये,
 जैसा की आप इस कॉमिक्स का पहला भाग पढ़ चुके है। कहानी में कुछ अलग तो लगता नहीं है पर फिर भी आधी कॉमिक्स पढने के बाद आप इसे पूरा जरुर पढना चाहेंगे। कहानी में फैंटम अब वहाँ पहुचने वाला है जहाँ से ये चिड़िया आई थी वहां उसके साथ कैसा व्योहार होता है ये देखने की बात होगी। जैसा की मै इसके पहले भाग के अपलोड के समय लिख चूका हूँ की ये कहानी छोटी सी है तो इसमें बहुत ज्याद की उम्मीद करना बेमानी होगी। बस कहानी थोड़े बहुत चरित्रों जोड़ते हुवे कब ख़तम हो जाएगी आप को पता भी नहीं चलेगा। आज रविवार है और मुझे ये कॉमिक्स अपलोड करने का मौका मिल गया है तो इसे अपलोड करने के बाद एक कॉमिक्स और एडिट और अपलोड करने की कोशिश करूँगा और यदि संभव हो सका तो दिवाली पर ३ से ४ कॉमिक्स अपलोड करने की कोशिश करूँगा और साथ में भी कुछ एक बल पॉकेट बुक्स भी।

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MC-1112-Ma Ka Karz

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