Sunday 12 January 2014

Chunnu Comics-Chandan Ke Lutere


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 आज तो मेरे पास कहने को इतना कुछ है कि समय और जगह दोनों ही कम पड़ जाने का अंदेशा है. इधर कुछ वक्त से इतनी ज्यादा व्यस्ता कुछ इस कदर थी कि किसी और बात के लिए तो समय ही नहीं था पर जैसा कि मुझे जानने वाले जानते है कि चाहे कुछ भी हो जाये कॉमिक्स कि स्कैनिंग और अपलोडिंग बंद नहीं हो सकती पर इस बार ये भी हुवा कि स्कैनिंग बंद हुवी। पर उसका इकलौता कारण व्यस्ता नहीं था बल्कि यहाँ पर बिजली कि समस्या और मेरे कंप्यूटर का बार-बार ख़राब होना था. पहले तो समय कि कम मिलता है स्कैनिंग के लिए और ऊपर से जैसे ही स्कैनिंग के लिए बैठो कि बिजली चली गयी और अगर आप ने किसी तरह से स्कैन कर भी लिया तो फिर उपलोडिंग उससे भी ज्यादा मुश्किल काम होता था क्योंकि उसमे बिजली जाने का मतलब तो कुछ भी नहीं हो सकता। पर अभी आधी परेशानी को ख़तम हो गयी है कि लैपटॉप आ गया है जिसके कारण अपलोडिंग तो बैकअप से हो जाता है पर स्कैनिंग कि समस्या अभी भी वैसे ही है पर इन्वर्टर लगवाने के बाद ये परेशानी में ख़तम हो जायेगी। फिर मै इतने कम समय में भी अपनी अपलोडिंग अच्छी गति से चालू रख सकूंगा। पिछली बार कि तरह इस पर भी मै राज कॉमिक्स के द्वारा आयोजित कॉमिक्स कॉन में गया था और इस बार ये आयोजन दो दिनों का था। जाना तो मुझे था ही,पर इस बार ये कुछ मायने में मेरे लिए बहुत खास रहा। दिल्ली जाने से दो दिन पहले मुझे डॉक्टर साहब का फ़ोन आया और मुझ से पूछा गया कि क्या मै कॉमिक्स कॉन में आ रहा हूँ। मैंने जब हाँ कहा तो उनका कहना था कि मैंने आप के दोनों ब्लॉग से बहुत कॉमिक्स डाउनलोड कि है और कभी थैंक्स तक नहीं लिखा , पर जब आप यहाँ आ रहे है तो मुझसे जरुर मिलें अगर मैं आप के कुछ काम आ सका तो मुझे बड़ी ख़ुशी होगी। मैंने हाँ कर दिया, दिल्ली पहुचने के बाद मैंने राज कॉमिक्स के कुछ लोगो के फ़ोन करके इंतज़ाम कि जगह जानने को कहा पर कुछ भी साफ़ नहीं हो पा रहा था बस इतना साफ़ था कि इंतज़ाम तो जरुर है पर कहाँ वो वहाँ आने के बाद कि पता चल पायेगा।फिर मेरे पास डॉक्टर साहब से बात करने के अलावा कोई चारा नहीं था मैंने उन्हें स्टेशन से फ़ोन किया और वो बहुत खुश हुवे और मुझे लेने ऑटो करके स्टेशन पहुचे और मुझे अपने घर ले जाना चाहते थे पर समय हो रहा था इसलिए मैंने उन्हें फ्रेश होने कि कोई जगह ले जेन को कहा तो वो मुझे अपने ऑफिस ले गए जहाँ जा कर मैंने नित्य कर्म करके तैयार हुवा। फिर डॉक्टर मेरे साथ कॉमिक्स कॉन ले कर आये हमारे बीच काफी बाते हुवी और वो कॉमिक्स कॉन पूरा दिन मेरे साथ रहे और जब तक वो मेरे साथ रहे उन्होंने मुझे एक पैसा भी खर्च नहीं करने दिया चाहे वो किराया हो चाहे वो खाने का कोई सामान हो, ऐसे लोगो से मिल कर जो ख़ुशी मिलती है उसका अंदाज़ा कोई नहीं लगा सकता। इससे ये बात तो साफ़ साबित होती है कि आप कोई भी अच्छा काम करेंगे उसकी सरहाना आप को जरुर मिलेगी। वरना एक डॉक्टर आप को इतना समय दे दे जिसका खुद का समय कितना कीमती होता है उसे तो सब को पता है।
 फिर शाम को हमारी मुलाकात पिछली बार कि तरह वीरेंदर जी, शादाब जी,अनुराग जी,सुशांत पांडा जी उनके भाई साहब वसंत पांडा,मंदार गांगले जी से हुवी। इनके साथ बिताया गया समय ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी होती है। मुझे इन सब के साथ समय बिताना बहुत ही पसंद आता है और इन सब के कारण मुझे चित्रों कि बहुत से बारीकियों में बारे में पता चला जो शायद मुझे कभी भी पता नहीं चलता। इनके साथ तो समय ऐसे बीतता है कि न थकान महसूस होती है और न नीद आती है बस बाते ही होती रहती है।
 फिर अगले दिन संजय गुप्ता जी से मुलाकात हुवी, वैसे तो मै बहुत बाते करता हूँ पर सिर्फ उसी से जिसे मै जनता हूँ नए व्यक्ति से बात करने से डरता हूँ कि कही वो कुछ ऐसा न कह दे कि मुझे बुरा लग जाये इसलिए संजय जी से भी बात करने से डर रहा था पर जैसे ही मैं उनके पास पंहुचा उन्होंने खुद मुझे पहचाना और कहा कि तुम लिखते बहुत अच्छा हो। मुझे ऐसा महसूस हुवा कि मै भी हूँ और उनके लिए मेरी बात कि कोई कीमत है जब कि जब से होश सम्भाला है किसी ने मेरी बात को ऐसे याद नहीं रखा है।
 बहुत ज्यादा हो चूका है बाकि बाते मै अगले पोस्ट में लिखूंगा।

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MC-1112-Ma Ka Karz

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