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गंगा चित्रकथा-६३-पिलपिली साहब बने मदारी
गंगा चित्रकथा उन कॉमिक्स प्रकाशन में से है जिनकी २०० कॉमिक्स भी शायद नहीं छपी थी. अगर मै अपनी बात करूँ तो मुझे पता ही नहीं था कि इस नाम का कोई प्रकाशन है भी। मै तो सिर्फ राज कॉमिक्स खरीदता और पढता था,जब मै कुछ पैसे कमाने लगा तो मनोज कॉमिक्स को जमा करना शुरू किया वो भी सुपर हीरो वाली कॉमिक्स, पर राज कॉमिक्स ने कॉमिक्स कम छपनी शुरू की तो मुझे और प्रकाशन कि कॉमिक्स को इकठ्ठा करने का मौका मिल गया। पर मेरी पहली पसंद राज कॉमिक्स के बाद मनोज कॉमिक्स ही थी पर जब मनोज कॉमिक्स छपनी बंद हो गयी तो वो मेरी पहली पसंद बन गयी और इसका कारण सीधा सा था कि राज कॉमिक्स कभी भी मिल सकती थी पर मनोज कॉमिक्स नहीं।पर जब मैंने कॉमिक्स स्कैन करना शुरु किया तो मुझे और कॉमिक्स प्रकाशनों के बारे में पता चला और मैंने इन्हे भी इक्कठा करना शुरू कर दिया और आज मेरे पास ईश्वर और कुछ दोस्तों कि मदद से बहुत सारे प्रकाशन की कॉमिक्स है।
इस कॉमिक्स कि कहानी बड़ी ही मज़ेदार है कई कहानियों कि खिचड़ी लगती है पर हास्य कॉमिक्स में कहानी ढूढ़ना बेकार कि कोशिश ही होती है। बस ऐसे ही कुछ भी होता रहता है पर सच तो ये है कि आप को मज़ा बहुत आने वाला है। जरुर पढ़े सारी थकान दूर हो जायेगी।
आज फिर कुछ बाते करने का मन हो रहा है, जब मैंने ऑरकुट कम्युनिटी ज्वाइन किया था तो पता चला कि कॉमिक्स को स्कैन भी किया जा सकता है और यहाँ पर मुझे राम-रहीम कि सारी कॉमिक्स को पढ़ने को मिली उस समय मेरे पास राम रहीम कि सारी कॉमिक्स मेरे पास नहीं थी, वो अहसान मेरे ऊपर ऐसा चढ़ा कि मैंने स्कैनर ले लिया और अपनी कॉमिक्स स्कैन करना सुरु कर दिया जो आज तक जारी है और शायद हमेशा रहेगा, शुरू में तो लोगो ने मेरी खूब मदद कि मोहित राघव जी ने,अनुपम अग्रवाल जी ने,सब मेरी तारीफ करते नहीं थकते थे। इन सब के साथ को मै कभी नहीं भूल सकता।
सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता रहे ये तो हो ही नहीं सकता। इसी कॉमिक्स की दुनिया ने मुझे हीरो बना दिया था और इसी कॉमिक्स कि दुनिया ने मुझे दलाल, धोखेबाज़, ठग,और चोर सब कुछ भी बना दिया। मेरा मन इन सब से उबने लगा था और सच कहूं तो पिछले कुछ महीनो से जो मेरी अपलोडिंग में जो गिरावट आयी है उसका ये भी एक बहुत बड़ा कारण है।
लोगो को ऐसा लगता है जैसे मै ब्लॉग से करोड़ो कमाता हूँ,कॉमिक्स मै शौक के कारण नहीं बेचने के कारण स्कैन करता हूँ। कॉमिक्स कि कमाई से मै करोडपति बन गया हूँ। इसलिए जब किसी से कॉमिक्स के नाम पर मदद मांगता हूँ तो उन्हें लगता है कि वो मुझे कोई एक कॉमिक्स दे कर या स्कैन कॉपी देकर अपना अरबो का नुक्सान कर लेंगे।
अब इन मूर्खो को कौन समझाए कि कॉमिक्स खरीदना मेरी शौक है दुकानदारी नहीं और अगर ब्लॉग से मुझे कमाई हो रही होती है तो मुझे सुबह ७ से लेकर रात ११ बजे तक बिना रुके लगातार बच्चो को पढ़ा कर कुछ पैसे नहीं कमा रहा होता बल्कि घर पर बीबी बच्चो के साथ आराम करता। और जो ब्लॉग फ्री में सब के लिए है अगर इससे कोई कमाई होती तो सब के सब लखपति तो जरुरु बन जाते।
मज़ेदार बात है सब मुझ से तो ये उम्मीद करते है कि मै उनकी पसंद कि कॉमिक्स जल्द से जल्द अपलोड कर दूँ पर अगर मै किसी से कोई मदद चाहूँ तो उनके पास समय ख़तम हो जाता है।
पर सच कहूं तो तकलीफ भी होती है और क्रोध भी आता है पर फिर ये सोच कर शांत हो जाता हूँ कि जब भी मैंने कुछ चाहा है तो उस ऊपर वाले ने मेरी मदद जरुर कि है जो भी कॉमिक्स मैंने अपलोड करने कि सोची है चाहे वो मेरे पास हो चाहे न हो मुझे ईश्वर ने वो कॉमिक्स किसी न किसी तरह से मेरे पास पहुचाई है क्योंकि मेरा इरादा कभी गलत नहीं रहा है और न ही आज है चाहे कोई इस पर विश्वाश करे चाहे न करे।
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