Sunday, 25 January 2015

Parampra Comics-147-Jahrele Ladake


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परम्परा कॉमिक्स-१४७-जहरीले लड़ाके
 परम्परा कॉमिक्स उन कॉमिक्स प्रकाशनों में से है जो कॉमिक्स की दुनिया में जरा देरी से पहुँचे। इनमे फोर्ट,परम्परा,पिटारा और दुर्गा कॉमिक्स मुख्य है। पर अगर सच्चे मायने में देखा जाये तो सिर्फ परम्परा ही ऐसा प्रकाशन था जिसने पूरी तैयारी के साथ इस दुनिया में कदम रखा था और उन्होंने हर वो कोशिश की थी जिससे उनकी कॉमिक्स बाजार में बनी रहे। उस समय के बेहतरीन लेखको और चित्रकारों ने इस प्रकाशन के लिए काम किया। इस प्रकाशन के कुछ सुपर हीरो सफल भी हुवे जिनमे से प्रमुख 'देवगण','गोरिल्ला','हिन्दीलाल और अंग्रेज़ीलाल' और शक्तिमान (मुकेश खन्ना वाला नहीं) .
 पर कंप्यूटर और वीडियो गेम के दौर में जब 'मनोज कॉमिक्स' और तुलसी कॉमिक्स अपने आप को नहीं बचा पाये तो फिर ये नया प्रकाशन कैसे बच पता। परम्परा कॉमिक्स की कहानियों और चित्रो का स्तर किसी भी और कॉमिक्स प्रकाशन से काम नहीं था और इन्होने तो ब्लैक-एंड-वाइट कॉमिक्स तक प्रिंट की थी।
इस प्रकाशन की मेरे विचार से १०० के लगभग कॉमिक्स आई थी या हो सकता है उससे भी कम। इस प्रकाशन ने कॉमिक्स का नंबर १०१ से शुरू किया था इसलिए कभी-कभी इनके नंबर के बारे में धोखा हो ही जाता है।
 अब बात इस कॉमिक्स के कहानी के बारे में कर ली जाये, कहानी पूर्णता फौजियों और उनके खतरनाक और रहस्यमय मिसन के बारे में है। इससे ज्यादा इसकी कहानी के बारे में लिखना इसका मज़ा किरकिरा कर सकती है। इसलिए इसे पढ़ कर देखे .......

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MC-1112-Ma Ka Karz

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