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मनोज कॉमिक्स - ७०२-मौत न बख्शेगी
मनोज कॉमिक्स की कहानियों के लिहाज़ से सबसे दुर्लभ कॉमिक्स है। वैसे तो मनोज कॉमिक्स में जो कुछ भी छापा गया है तो ९०% खरा सोना ही था। आप इनकी दस कॉमिक्स उठाओ तो उसमे ९ कॉमिक्स में आप को चित्रों से कोई शिकायत नहीं होगी और कम से कम ८ से कहानियों से भी कोई शिकायत ना होगी।
मनोज कॉमिक्स एक ऐसा कॉमिक्स पब्लिकेशन हाउस था कि उसने जब तक भी कॉमिक्स प्रिंट की तो पाठकों के दिलों पर राज़ किया। राम-रहीम,हवलदार बहादुर, महाबली शेरा, सागर-सलीम, क्रूकबांड, और इन सब के अलावा इन्होंने जो बिना हीरो के कॉमिक्स छापी वो तो लाजबाब थी।
ये पब्लिकेशन जब तक रहा नंबर १ रहा और आज भी लगभग हर पुराने कलेक्टर का सपना है कि उसके पास मनोज कॉमिक्स का पूरा कलेक्शन हो। मेरा मनोज कॉमिक्स का कलेक्शन लगभग पूरा हो चूका है। इस कॉमिक्स को पढ़ने के बाद आप भी ये मान जायेंगे कि क्यों ये प्रकाशन हमेशा पहले नंबर पर रहता था।
इस कहानी के बारे में कुछ लिखने से पहले मैं इस कहानी के लेखक श्री आशीत चटर्जी के बारे में लिखना चाहूँगा। ये श्री विमल चटर्जी जी के भाई थे। विमल चटर्जी जी ने मनोज कॉमिक्स को शिखर पर पहुचाने में बहुत योगदान दिया था। राम -रहीम,क्रूकबांड,महाबली शेरा इनकी ही देन थे।
विमल चटर्जी के भाई होने के कारण इनको कोई फ़ायदा हुवा की नहीं कह नहीं सकता पर उनका भाई होने के कारण इनसे उम्मीद बहुत रहती थी। इन्होंने शायद ही कभी निराश किया हो। इंस्पेक्टर मनोज की, मकड़ी रानी आदि की काफी कॉमिक्स इन्होंने लिखी है। इन्होंने राम रहीम की भी कुछ कहानियां लिखी है।
जब मैंने ये कॉमिक्स पढ़ी तो मुझे तो यकीन हो गया कि ऐसी कहानिया लिखना साधारण कार्य बिलकुल नहीं है। काश आज भी इनकी कहानियाँ पढ़ने को मिलती।
कहानी अगर कभी मौत को लेकर हो तो भय पैदा करती है। सदियों से लोगो ने मौत पर विजय प्राप्त करने का प्रयास किया है। हम सभी जानते है कि मौत से बड़ा सत्य कोई नहीं है। फिर भी लोगो का अमर होने का सपना हमेशा बना रहता है।
इस कहानी में भी मौत से जीतने के प्रयास को कर शुरू होती है। एक बार तो ऐसा लगता है की मौत पर विजय मिल गयी। फिर शुरू हुआ मौत का अनोखा खेल और इस खेल में अगर कोई जीत सकता है तो वो है मौत। कहानी इतनी अच्छी है कि अगर मुझे केवल ५ कॉमिक्स भी अपलोड करनी होती तो भी ये कॉमिक्स उसमे जरूर होती। पढ़े और मुझे जरूर बताएं कि ये कहानी आप को कैसी लगी। फिर जल्द ही मिलते है। .
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