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मनोज कॉमिक्स-७८८-जासूसों का जासूस
मनोज कॉमिक्स की एक बेहद सरल और प्रेरणा देती आकर्षक कहानी। लिखा फिर से अंसार अख्तर जी ने। कहानी शुरू होती है एक पुस्कालय के लिए कार्यरत हीरो से। जिसका काम किताबे न लौटने वालों से किताबे और जुर्माना वसूल करना है। जब वो ऐसी ही वसूली पर पहुचता है तो उसे उस परिवार के डाकुयों के चंगुल में फसने का आभास होता है।
फिर क्या होता है ये तो आप कॉमिक्स पढ़ कर ही जानना होगा। कहानी में कुछ भी हीरोइक नहीं है। हीरो का हर काम साधारण होते हुए भी असाधारण है। पढ़े, कहानी आप को जरूर अच्छी लगेगी।
८९९ नंबर तक की सारी पेंडिंग कॉमिक्स स्कैन कर चूका हूँ। कई को तो एडिट कर चूका हूँ और कई एडिट करने के लिए अपने मित्रों को दी है। अगर सब ठीक रहा तो दिवाली तक तो ये सारी कॉमिक्स अपलोड कर ही ले जाऊंगा।
मेरी पर्सनल जिंदगी ठीक से नहीं चल रही है। आर्थिक तंगी से सामना करना पड़ रहा है। ऐसा लगता है की समय मेरे अनुकूल बिलकुल नहीं है। जो भी हो रहा है ऐसा लगता है की मेरे खिलाफ ही हो रहा है। समझ में नहीं आता ऐसा कब तक चलेगा। मैंने अपनी जानकारी में आज तक किसी का बुरा नहीं किया है पर पता नहीं क्यों मेरा बुरा ही बुरा होता जा रहा हूँ। हर कोई बस अपना उल्लू सीधा करता है और मेरा नुकशान कर देता है। कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है। अब ईश्वर से एक ही प्रार्थना है इस स्थिति से जल्द निकले और लम्बे समय तक निकाले रखे।
फिलहाल आप कॉमिक्स डाउनलोड करके पढ़े जल्द ही मैं नयी कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलता हूँ
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