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मनोज कॉमिक्स -८२६ - तिलस्मी खजाने का प्रेतात्मा
मनोज कॉमिक्स की एक और कॉमिक्स जिसके बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा। बस ऐसा लगता है की गिनती बढ़ाने के लिए कॉमिक्स प्रिंट कर दी। वैसे चित्र तो अच्छे बने है। कहानी शुरू भी बड़े शानदार ढंग से होती है पर अंत तक सब बेकार हो जाता है। चित्रों के अलावां इस कहानी में कुछ भी है नहीं। एक -एक पेज में ४ फ्रेम से ज्यादा नहीं है। जो साबित करता है। की कुछ लिखने को था नहीं बस किसी तरह से कॉमिक्स पूरी की गयी है।
कहानी शुरू होती है एक सपने से जो की एक आदमी को बार -बार आ रहे है। एक प्रेत उसे सपने में मारने की कोशिश करता है। तमाम खोसिशो के बाद भी उस सपने से छुटकारे कर कोई उपाय नहीं देखता है। फिर एक दिन सपने में कोई आ कर कही जाने को बताता है। और वो वहां चल देते है। आगे के लिए तो आप कॉमिक्स डाउनलोड करके पढ़े। शायद आप को अच्छा लग जाये।
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मनोज कॉमिक्स -८२६ - तिलस्मी खजाने का प्रेतात्मा
मनोज कॉमिक्स की एक और कॉमिक्स जिसके बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा। बस ऐसा लगता है की गिनती बढ़ाने के लिए कॉमिक्स प्रिंट कर दी। वैसे चित्र तो अच्छे बने है। कहानी शुरू भी बड़े शानदार ढंग से होती है पर अंत तक सब बेकार हो जाता है। चित्रों के अलावां इस कहानी में कुछ भी है नहीं। एक -एक पेज में ४ फ्रेम से ज्यादा नहीं है। जो साबित करता है। की कुछ लिखने को था नहीं बस किसी तरह से कॉमिक्स पूरी की गयी है।
कहानी शुरू होती है एक सपने से जो की एक आदमी को बार -बार आ रहे है। एक प्रेत उसे सपने में मारने की कोशिश करता है। तमाम खोसिशो के बाद भी उस सपने से छुटकारे कर कोई उपाय नहीं देखता है। फिर एक दिन सपने में कोई आ कर कही जाने को बताता है। और वो वहां चल देते है। आगे के लिए तो आप कॉमिक्स डाउनलोड करके पढ़े। शायद आप को अच्छा लग जाये।
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