Monday, 2 April 2012
Durbhagya Se Dosti
Downloadहम सभी इश्वर से दिन रात प्राथना करते रहते है की हमारा भाग्य हम पर बना रहे. और हम सभी मानते ही होंगे की बिना भाग्य के कुछ भी प्राप्त नहीं होता. और यदि हम भाग्य को मानते है तो दुर्भाग्य को भी मानना ही पड़ेगा. और अगर दुर्भग्य पीछे पड़ जाये तो कुछ भी अच्छा होने की संभावना समाप्त हो जाती है. इस कहानी में भी सेठ जी की सर पर तो दुर्भाग्य सवार हो जाता है और फिर उन पर क्या बीतती है और वो उससे छुटकारा पाते भी है या नहीं और पाते भी है तो किस तरह ये ही इस बेहतरीन कहानी का आधार है. पढ़े और मै दवा करता हूँ की आप वाह कर उठेंगे.
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MC-1112-Ma Ka Karz
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