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"मनोज कॉमिक्स" को सबसे ज्यादा अगर किसी ने उचयिओं पर पहुचाया था तो वो थे "विमल चटर्जी" और उनकी दी हवी राम-रहीम सिरीज़. और ये सिरीज़ इतनी चली थी की उनकी कॉमिकस चार - पाच पर छपने के बाद भी उनका मिलना बहुत मुश्किल है और मुझे राम-रहीम बहुत ही पसंद थी. पर ९० के दसक में ये सिरीज़ अपना आकर्षण खोने लगी थी. पता नहीं कहाँ कहाँ से भरी- भरकम खलनायक ले आते थे जिनका राम-रहीम से कोई मुकाबला ही नहीं था , कहानी में सिर्फ राम-रहीम का नाम रहता था और कहानी में असली हीरो तो कोई बाबा बन जाते थे, और मै ऐसी कहियों से इतना ऊब गया था की राम -रहीम पढना लगभग बंद कर दिया था, और मुझे ऐसा लग रहा था की राम रहीम बंद ही समझो. फिर आई कॉमिक्स "आकाश का जादूगर" जिससे लिखा था महेंद्र जैन जी ने. और फिर क्या था कहानी में नयापन मिलने लगा और राम-रहीम पहले से भी बेहतर लिखी जाने लगी, इनकी "स्टारो सिरीज़", विलेन सिरीज़ , आदि बहुत ही लाजबाब थी. महेंद्र जैन ने टोटान सिरीज़ लिखी , विनाश सिरीज़ लिखी,सार्क सिरीज़ लिखी और ये सारी सीरीज मुझे बहुत ही पसंद है.
Hello Sir!
ReplyDeleteI am glad you wrote awesome comic.
I want to know about a comic that i am not getting on internet comic name not perfectly in my mind, but it was having some characters like , prachand, mukund, taarpedo, dhagchakra (weapon name) second part was supersiti.
plz plz please tell me this comic name or if you have please let me know how can i get that?