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चित्रभारती कथामाला -अक्कड़ - बक्कड़
अक्कड़ बक्कड़ बाम्बे बोल ८०,९० पूरे १००.
१०० में लगा तागा चोर निकल के भागा .
मेम खाए बिस्कुट साहब बोले वैरी गुड
मुझे तो अक्कड़ बक्कड़ सुनने के बाद इसके अलावा कुछ भी याद नहीं आता पर यहाँ पर ये नाम दो बन्दर के बच्चो के है. पर सच कहूँ तो ये कहानी समझ के बहार है न तो ये पंचतंत्र की तरह जानवरों की कहानी बना पाए और न ही आदमियों की कोई कहानी. सब कुछ बिखरा- बिखरा और अधुरा सा लगता है कहानी पढने के बाद. कहानी न तो ज्ञान देती लगती है न मनोरंजन करती लगती है, बस सब कुछ ऐसे ही होता चला जाता है. कहानी के लिहाज़ से मै इसे १० में से ४ नंबर से ज्याद बिलकुल भी नहीं दे पाउँगा . बस ऐसे ही है ये कहानी , इसे पढना समय के बर्बादी के अलावा कुछ भी नहीं है. फिर ये एक कॉमिक्स होने के कारण में संग्रह में है और रहेगी पर अगर मै संग्रह नहीं करता होता तो ये कॉमिक्स मेरे पास कभी नहीं होती . फिर भी सबका अपना- अपना रूचि का आधार होता है हो सकता है जो मुझे बिलकुल न अचछा लगे वो किसी और को बहुत पसंद हो. इसे पढ़िए और देखिये की शायद ये कहानी आप को पसंद आये .
प्रिय मनोज जी
ReplyDeleteइस कॉमिक्स से मेरी कुछ यादें जुडी हुई है | मैंने मेरे जीवन में सर्वप्रथम इसी कॉमिक्स को ही पढ़ा था | मेरा सुनहरा बचपन आपने लौटा दिया | इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !!!
mujhe is baat ki bahut khushi hai ki mai aap ke bachpan ki kuch
Deleteyade lauta paya,
mai aisi koshish aage bhi karta rahunga
Thanks bro. This is the spirit. Aapko yeh comic pasand nahin hai lekin phir bhee for only preservation purpose and to bring forward to us U've done al lthe efforts. Thanks for the same bro and keep it up.
ReplyDeleteWelcome brother
Deletemai to ye soch kar scan kar deta hun shayad kisi ko to achchi lagegi.
aur agar kisi ko bhi achchi nahi lagi to bhi wo comics to hai jise save karna hamari naitik jimmedari hai