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प्रभात कॉमिक्स-२७५-पासा पलट गया
'प्रभात कॉमिक्स' उन कॉमिक्स प्रकाशन में से एक है जो की अपने समय के प्रसिद्ध प्रकाशन में से थे। लेकिन जब मैंने कॉमिक्स पढना शुरु किया था तब 'डायमंड कॉमिक्स' और 'मनोज कॉमिक्स' का बोलबाला था 'राज कॉमिक्स' ने भी प्रसिद्धी पकडनी शुरु की थी।
मेरी सुरुवात 'डायमंड कॉमिक्स' के 'चाचा चौधरी' की कॉमिक्स 'उड़ने वाली कार' से हुई। उसके बाद से मैंने 'चाचा चौधरी' की लगभग सारी कॉमिक्स पढ़ डाली। उन्ही बीच में 'राज कॉमिक्स' के 'नागराज' से भी मेरी पहचान हुई पर अगर मै अपनी पहली 'राज कॉमिक्स' की बात करूँ तो वो "विनाश्दूत" थी जिसके प्रकाशन का पता मुझे कई सालों तक नहीं था। नागराज की कॉमिक्स खूनी खोज के बाद से मैंने नागराज की कॉमिक्स को खूब पढ़ा। फिर 'मनोज कॉमिक्स' के 'राम रहीम' की कॉमिक्स मेरे हाथ लगी उसके बाद तो नागराज और राम रहीम को छोड़ कर कुछ पढता ही नहीं था।
फिर एक बार गलती से 'सुपर कमांडो ध्रुव' की कॉमिक्स 'लहू के प्यासे' मेरे हाथ लगी जिसे मै बिलकुल भी नहीं पढना चाहता था पर उस समय गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी और मैंने उस किराये वाली दूकान पर से राम रहीम और नागराज की सारी कॉमिक्स पढ़ी डाली थी और उसके पास कुछ नया नहीं था इसलिए उसे पढने का मन बनाया। पर कॉमिक्स पढने के बाद मै सरे हीरो को भूल कर पहले सुपर कमांडो ध्रुव ही पढने लगा। ये पहला चरित्र था जिसके कारण मैंने कॉमिक्स का संग्रह शुरू किया था।जो आज तक जरी है।
अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये, ये कहानी एक मास्टर जी की है जो कि अपनी पत्नी से बहुत डरते है, जैसे ज्यातर लोग डरते है।और उनकी पिटाई बेलन से अक्सर हो ही जाती है। परन्तु एक दिन उन्हें एक टोपी मिलती है जिसे पहनने के बाद उनका मिजाज़ बदल जाता है उसके बात मास्टर जी क्या क्या करते है यही इस कहानी का मूल आधार है।
अगर मै चित्रों की बात न करूँ तो कॉमिक्स बहुत अच्छी है पढने में जरुर मज़ा आयेगा।
इधर स्कूल की छुट्टियाँ पड़ी थी तो मैंने कुल मिलकर ५ कॉमिक्स स्कैन की थी जिसमे एक प्रस्तुत कॉमिक्स है जिसके अलावा दो इंद्रजाल कॉमिक्स है एक और प्रभात कॉमिक्स है तथा एक चुन्नू कॉमिक्स है। उम्मीद है ये सारी कॉमिक्स आप को जल्दी ही पढने को मिल जाएँगी।
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