Thursday, 28 March 2013

LotPot No. 122


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लोटपोट नंबर-122
सच कहूँ मैंने कभी भी लोटपोट अपलोड करने के बारे में नहीं सोचा था। कारण आसान सा है एक तो ये हिंदी पत्रिका अभी भी प्रकाशित हो रही है और दुसरे मुझे एक पत्रिका बिलकुल भी पसंद नहीं है। और जो चीज़ आप को पसंद न हो उसका आप के पास होना भी बहुत मुश्किल होगा। पर ये लोटपोट 200 नंबर से नीचे की है जो की मिलना बहुत मुश्किल है मैंने इनसे पहले कभी भी 200 नंबर से नीचे की लोटपोट नहीं देखी थी तो दिल नहीं माना और इन्हें खरीद लिया और फिर इन्हें उपलोड कर रहा हूँ उम्मीद है आप सब को ये बेहद पुरानी पत्रिका पसंद आएगी।
 आज बात पिछली बार उपलोड की इंद्रजाल कॉमिक्स पर कर ली जाये,ज्यदातर लोगो को इंद्रजाल कॉमिक्स पसंद आई और मुझ से इस बात की आशा की जाने लगी है की मै हिंदी इंद्रजाल में जो भी कॉमिक्स इन्टरनेट पर उपलोड नहीं है उन्हें उपलोड करने की कोशिश करूँ। मैंने अपने पहले पोस्ट में ये बात रखी थी की मै इंद्रजाल कॉमिक्स का संग्रह नहीं करता इसलिए उसकी सारी कॉमिक्स अपलोड करना मेरे लीये संभव नहीं होगा। कितनी अजीब बात है जो लोग इंद्रजाल कॉमिक्स के संग्रह के नाम पर लाखो रूपये पानी की तरह बहा चुके है ये बहा रहे है वो इनको हमेशा के लिए संग्रह (डिजिटल फोर्मेट) करने के लिए कुछ भी करने को तैयार नहीं है और जो मेरी तरह हिंदी कॉमिक्स में कुछ भी संग्रह करने को तैयार है उनके लिए इन कॉमिक्स को खरीदना असंभव बना दिया है। मेरे बस का तो 1-300 नंबर तक की कॉमिक्स खरीदना तो बिलकुल भी नहीं है, फिर भी जो मेरे पास है जैसा की मै हमेशा करता हूँ उन्हें अपलोड कर दूंगा और उम्मीद करूँगा की बाकी कोई और निस्वार्थ आदमी अपलोड कर देगा। मनोज कॉमिक्स की बात कुछ और थी एक तो वो मुझे खुद पसंद है दुसरे वो बहुत ज्यदा महंगी नहीं है और तीसरे मनोज कॉमिक्स के ज्यदातर संग्रहकर्ता इंद्रजाल कॉमिक्स के संग्रकर्ता की तरह अहम् के मारे नहीं है इसलिए हम उसे पूरी तरह अपलोड करने में सफल हो जायेंगे और लगभग हो ही गए है। पर इंद्रजाल कॉमिक्स का भविष्य संग्रह के नाम पर तो मुझे अंधकारमय ही लगता है। बाकी जैसी ईश्वर मर्जी।

Sunday, 24 March 2013

Indrajaal Comics-Vol.24-28-Sulagta Paap



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इन्द्रजाल कॉमिक्स-सुलगता पाप (अन्जान लोक का फ़रिश्ता "आदित्य")
जैसा की मै आप लोगो को पहले ही बता चूका हूँ, कि इंद्रजाल कॉमिक्स का शौक मुझे कभी भी नहीं रहा और आज भी कुछ नया नहीं है,फिर भी मेरे पास 300 के लगभग (हिंदी/अंग्रेजी मिला कर) इन्द्रजाल कॉमिक्स होगी।पर मैंने इन्हें कभी पढने की कोशिश नहीं की,कारण इन कॉमिक्स के चित्र और उनकी छपाई और शायद उससे बड़ी बात ये होगी कि इनकी ज्यदातर कॉमिक्स भारतिए परिवेश की नहीं है और मै शहर में रहने के वाबजूद भी अपने गावं से कभी अलग नहीं हो पाया, मेरा देशीपन मुझे इन कहानियों के करीब कभी भी नहीं जाने दिया। और मुझे इन कॉमिक्स कि कहानिया कभी भी समझ में नहीं आई,"बहादुर" की कॉमिक्स शायद मुझे उस समय नहीं मिली होंगी नहीं तो शायद इन्द्रजाल से मेरा थोडा लगाव तो जरुर होता।
 आज भी मै अपने आप को इस सबसे पुराने और बेहतरीन हिंदी कॉमिक्स प्रकाशन से जोड़ नहीं पाता। पर ये जो कॉमिक्स है इस में वो सारी बाते है जो मुझे चाहिए होती है जैसे भारतिए परिवेश और सुन्दर चित्र। चित्र श्री प्रदीप शाठे जी का है और कहानी भी बहुत सरल और बहुत ही बेहतर है पढने के बाद आप अजीब सा शुकून महसूस करेंगे।
 स्कूल के लिए देर हो रही है बाकी बाते किसी और दिन करेंगे तब तक आप सब हो होली की अग्रिम शुभकामनाये।

Tuesday, 19 March 2013

Diamond Comics-299-Lambu Motu Aur Paglon Ka Badshah


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डायमंड कॉमिक्स -299- लम्बू-मोटू और पागलों का बादशाह
जैसा की आप सब ने "डॉक्टर अफलातून" पढ़ा होगा की कैसे एक बच्चे का दिमाग बूढ़े की तरह और एक बूढ़े का दिमाग बच्चे की तरह का हो जाता है और तो और कुछ बन्दर भी इंसानों की भाषा में बात करने लगते है और ये सब होता है "डॉक्टर अफलातून" के कारण।पूरा पुलिस बिभाग परेशान है इस समस्या से और किसी को कोई हल नज़र नहीं रहा है की इस परेशानी से कैसे निपटा जाये और उससे बड़ी परेशानी की बात ये थी की किसी को नहीं पता था की "डॉक्टर अफलातून" है कौन और उसे कहाँ से पकड़ा जा सकता है और उसकी कुल ताकत कितनी होगी।लम्बू-मोटू के लिए ये "डॉक्टर अफलातून" को ढूढ कर पकड़ना आसान तो बिलकुल भी नहीं होने वाला था वो भी तब जब उनके पास डॉक्टर अफलातून तक पहुचने का कोई रास्ता नहीं था।
 लेकिन जैसे की हर कहानी में होता है की नायक को खलनायक तक पहुचने का कोई न कोई रास्ता मिल ही जाता है,वो रास्ता क्या है ये तो आप को कहानी पढने के बाद ही पता चल पायेगा।
कहानी के लिहाज़ से ये कॉमिक्स में पहली वाली कॉमिक्स की तरह बेहतर ही है पर कुछ जगह मुझे कहानी खीची हुई लगी,पर फिर भी पूरी कहानी बहुत ही बेहतर है। आप इसे बार-बार पढना चाहेंगे।
जैसा की आप सभी जानते है की कॉमिक्स के भाग वाली कॉमिक्स जल्दी देने का प्रयास करता हूँ, और इस बार भी मैंने यही कोशिश की है। पर काम इतना ज्यदा है की बड़ी मुश्किल से ही समय निकल पा रहा है।
 इस बार मैंने इंद्रजाल कॉमिक्स स्कैन करने का मन बनाया है, मै इंद्रजाल कॉमिक्स नहीं पढता हूँ और न ही उनका संग्रह करने में मुझे कोई रूचि है परन्तु आजकल जिस तरह से मुझे लोग कॉमिक्स बेच रहे है(सारी लेना होगा नहीं तो कोई नहीं देंगे) उसके कारण न चाहते हुवे भी मेरे पास हिंदी-इंग्लिश मिला का 400 कॉमिक्स से ज्यदा होंगी,चित्र और छपाई ख़राब होने के कारण मेरा उन्हें पढने में कभी मन नहीं लगा,पर अभी चार दिन पहले जब मै उन कॉमिक्स को देख रहा था तो उसमे मुझे एक ऐसी कॉमिक्स दिखी जो सबसे अलग थी।
 हिंदी परिवेश में लिखी कहानी और इसका चित्रांकन किया था "श्री प्रदीप शाठे" जी ने। बस फिर क्या था कहानी पढ़ डाला और वो मुझे बहुत सरल और बहुत बेहतर लगी। फिर मैंने उसे स्कैन कर लिया है और जल्द ही अपलोड भी कर दूंगा और कहानी का नायक है "अनजान लोक का फ़रिश्ता". मुझे तो ये कहानी और इसके चित्र बहुत अच्छे लगे उम्मीद है आप को भी वो कॉमिक्स पसंद आएगी।

Thursday, 14 March 2013

DC-294-Lambu Motu Aur Dr. Aflatoon


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डायमंड कॉमिक्स-294-लम्बू-मोटू और डॉक्टर अफलातून
 ये उस समय की कॉमिक्स है,जब कॉमिक्स ने भारत में अपना प्रभुत्त स्थापित करना शुरू ही किया था।कहानियों के लिहाज़ से इस दौर में जो कुछ भी छपा वो अब तक का सबसे बेहतर है। इस दौर में जो एक बात बहुत पढने को मिली वो थी वैज्ञानिक शक्तियों का दुर्प्रयोग करने वाले वैज्ञानिकों की कहानी। ऐसी कहानियां इतनी ज्यदा रोमांचक और डरावनी (मुझे लगती थी) होती थी की मैं पढने के लिए परेशान भी रहता था और डरता भी था। ये कहानी भी उन्ही कहानियों में से एक है,और बहुत ही बेहतर है। इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते है कि मै डायमंड कॉमिक्स बहुत की कम अपलोड करता हूँ क्योंकि मुझे उनकी कहानियां पसंद नहीं आती और अगर मै ये कॉमिक्स अपलोड कर रहा हूँ तो इसकी कहानी अच्छी ही होगी।
 पढने के बाद आप खुद इस कॉमिक्स को बार- बार पढेंगे।

 पिछली बार जब मैंने कॉमिक्स अपलोड की थी तो मै बहुत थका हुआ था। स्कूल में क्लास टीचर होने के कारण आप को अपने विषय की कॉपी चेक करने के अलावा बच्चो के रिपोर्ट कार्ड बनाना और उनके पूरे साल रिकॉर्ड रखना बहुत थका देने वाला काम होता है जो की मुझे करना पड़ा था।

आज मै आप लोगो से "लोगो के एक दूसरे पर निर्भरता" के बारे में अपने विचार रखूँगा।
 जैसा की हम सभी जानते है की मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज में रहने के कारण हम कही न कही एक दुसरे पर निर्भर रहते ही है। हम इस निर्भरता से हम कभी भी बच सकते। शुरू में हम अपने माता-पिता पर निर्भर रहते है,फिर अपने टीचर पर,फिर दोस्तों पर,फिर नौकरी पर,फिर बच्चो पर। कहने का ये अर्थ है की निर्भरता हमारी मौत के साथ ही ख़तम होती है और कैयदे से देखा जाये तो मरने के बाद भी आखरी कर्म तक निर्भरता बनी रहती है।
जहाँ तक मेरी बात है मै भी मानता हूँ की इस निर्भरता से बचा नहीं जा सकता है। पर इसे कम जरुर किया जा सकता। और किसी पर निर्भरता हमारी जरुरत हो सकती है पर उसे हमारी कमजोरी नहीं बनाना चाहिए। जैसा की मेरे साथ है। नौकरी पर निर्भर हूँ पर ये मेरी कमजोरी नहीं है।इसी तरह से मै अपने हर रिश्ते को देखता हूँ, मै अपने हर रिश्ते का पूरा सम्मान और आदर करता हूँ और मै उन पर निर्भर भी हूँ पर मेरे कोई भी रिश्ते मेरी कमजोरी नहीं है। मै आज की तारीख में किसी भी रिश्ते के बिना रह सकता हूँ चाहे वो कितने भी जरुरी और फैदेमंद क्यों न हों। मै उन्ही रिश्तों को सम्मान देता हूँ जो रिश्ते मुझे सम्मान देते है।
 जहाँ तक मैंने इस जिन्दगी को जाना है की वही रिश्ते और उन्ही लोगो पर हमारी निर्भरता हमारे साथ आजीवन चलती है जिनकी स्थिति और निर्भरता हमारे साथ भी बिलकुल वैसी ही हो। जब हम दूसरे से ही सारी उम्मीद करने लगते है तो भी रिश्तों का अंत हो जाता है।हम दूसरे से पूरी ईमानदारी की उम्मीद करते है और खुद कभी भी इमानदार नहीं होते।

Nutan Comics - 96 Jadu Ka Patang

Nutan Comics - 179 Chutki Aur Gol Gappe


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Goyal Comics - 59 Nago Ka Dweep


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Goyal Comics - 19 Prion Ki Maharani


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Wednesday, 6 March 2013

Chitrabharti Kathamala-72-Chamtkari Chadi


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चित्रभारती कथामाला-74-चमत्कारी छड़ी
 हिंदुस्तानी कथावों के कुछ ऐसे चरित्र है जिन्हें लगभग हर प्रकाशन ने अपनी सुबिधा के अनुसार खूब भुनाया। उनमे से कुछ है वीरबल, तेनाली राम , और विक्रम वेताल। और अगर देश के बहार के चरित्रों की बात करूँ तो ड्राकुला का नाम सबसे पहले सामने आता है। और इस कहानी में राजा विक्रम का मुख्य रूप से इस्तेमाल किया गया है,कहानी बहुत ही बेहतर है और पढने के बाद आप को काफी समय तक ये कहानी याद रहेगी।

आजकल मै बहुत ही व्यस्त चल रहा हूँ थकान भी महसूस कर रहा हूँ और बहुत जोरों की नीद भी आ रही है। काफी समय से कोई कॉमिक्स अपलोड नहीं कर पा रहा था तो किसी तरह से हिम्मत करके इसे अपलोड कर रहा हूँ, अगले अपलोड में मै जरुर किसी और बारे में आप से ढेर सारी बाते करूँगा। आज के लिए बस इतना ही फिर मिलते है नयी कॉमिक्स के साथ ..................

MC-1112-Ma Ka Karz

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