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इन्द्रजाल कॉमिक्स-सुलगता पाप (अन्जान लोक का फ़रिश्ता "आदित्य")
जैसा की मै आप लोगो को पहले ही बता चूका हूँ, कि इंद्रजाल कॉमिक्स का शौक मुझे कभी भी नहीं रहा और आज भी कुछ नया नहीं है,फिर भी मेरे पास 300 के लगभग (हिंदी/अंग्रेजी मिला कर) इन्द्रजाल कॉमिक्स होगी।पर मैंने इन्हें कभी पढने की कोशिश नहीं की,कारण इन कॉमिक्स के चित्र और उनकी छपाई और शायद उससे बड़ी बात ये होगी कि इनकी ज्यदातर कॉमिक्स भारतिए परिवेश की नहीं है और मै शहर में रहने के वाबजूद भी अपने गावं से कभी अलग नहीं हो पाया, मेरा देशीपन मुझे इन कहानियों के करीब कभी भी नहीं जाने दिया। और मुझे इन कॉमिक्स कि कहानिया कभी भी समझ में नहीं आई,"बहादुर" की कॉमिक्स शायद मुझे उस समय नहीं मिली होंगी नहीं तो शायद इन्द्रजाल से मेरा थोडा लगाव तो जरुर होता।
आज भी मै अपने आप को इस सबसे पुराने और बेहतरीन हिंदी कॉमिक्स प्रकाशन से जोड़ नहीं पाता। पर ये जो कॉमिक्स है इस में वो सारी बाते है जो मुझे चाहिए होती है जैसे भारतिए परिवेश और सुन्दर चित्र। चित्र श्री प्रदीप शाठे जी का है और कहानी भी बहुत सरल और बहुत ही बेहतर है पढने के बाद आप अजीब सा शुकून महसूस करेंगे।
स्कूल के लिए देर हो रही है बाकी बाते किसी और दिन करेंगे तब तक आप सब हो होली की अग्रिम शुभकामनाये।
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