Thursday, 31 January 2013

Chitrabharti Kathamala-08- Chocolate No.08


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चित्रभारती कथामाला-08-चॉकलेट संख्या 08
 चॉकलेट की मेरी तरफ से 7वीं क़िस्त है,और इसके बाद मेरे पास सिर्फ 11 no. की चॉकलेट और बची है। जो की अनुपम अग्रवाल जी के ब्लॉग पर अपलोड है, फिर भी मै उस कॉमिक्स को स्कैन करने का मन तो बना रखा है, पर देखते है की आगे क्या होता है। चॉकलेट सीरीज की सभी कॉमिक्स को मै अपलोड नहीं कर पा रहा हूँ, मेरे पास no. 6 ,9,10 नहीं है। लेकिन जैसा की मेरे साथ ज्यदातर होता है की कॉमिक्स कही न कही से मिल ही जाती है या फिर कोई मित्र उन्हें कही ना कही अपलोड कर ही देता है इस बार भी ऐसा ही होगा और ये सीरीज जरुर पूरी होगी। बस ये देखना है की वो दिन कब आता है पर आएगा जरुर।

 आज कुछ अलग बात करने का मन कर रहा है। हम सभी जानते है की हम सब सम्मान के भूखे है, और मै भी हूँ। पर जब मै बहुत गहन विचार करता हूँ तो ये पता हूँ की हम किसी का सम्मान या कोई हमारा सम्मान तीन कारणों से ही करता हैं।
 1- हम किसी लालच के बस में रह कर सम्मान करते है।
 2- हम डर के कारण भी सम्मान करते है।
 3- हम में किसी के प्रति एक अनुराग पैदा हो जाता है जिसके कारण हम किसी का सम्मान करने लगते है।
सच्चाई से देखा जाये तो हम 90% पहले दो कारणों से सम्मान पाते है या देते है।
 तीसरा कारण तो बहुत ही कम देखने को मिलता है। यानी हमारा सम्मान करने वालों में 90% चाटुकार हो सकते है जिनको शायद हम अपना शुभ चिंतक या अपना सम्मान करने वाला समझने लगते है।
 वैसे तो मै पहले दो कारणों से सम्मान नहीं करता,पर फिर भी कुछ चीज़े ऐसी है जिनसे आप नहीं बच सकते, जैसे आप का मालिक(जहाँ आप काम करते है वहां का सर्वेसर्वा) वो कैसा भी हो आप को उसका सम्मान उसके सामने करना ही पड़ता है। कई जगह मैंने भी डर के कारण औरों से बहुत कम फिर भी सम्मान किया तो है,
 हाँ इतना तो जरुर है की अभी तक लालच के कारण तो कभी किसी का सम्मान नहीं किया है, जबकि लालच से सम्मान करने वाले आप को हर कदम पर मिलेंगे।
 अब सवाल ये उठता है की हम इसकी पहचान कैसे करे, तो एक सीधा सा तरीका है की अगर आप किसी को फ़ायदा पंहुचा रहे है या फिर आप के कारण किसी को फ़ायदा हो रहा है तो उसके चाटुकार होने के सबसे ज्यदा तुक बैठता है। पर हर मदद पाने वाला सच्चा इंसान भी हो सकता है, फिर क्या करें , तो उसे इस बात का अहसास दिलाये की अब आप उसके कोई काम नहीं आयेंगे और उसकी मदद कुछ समय तक बंद कर दें अगर वो फिर भी आप का सम्मान करता रह सकता है फिर तो सच्चा है नहीं तो फिर वो चाटुकार ही था।
सम्मान पाने का एक तरीका सम्मान खरीदना भी हो सकता है, जैसे आप किसी भिखारी तो 5 रूपये दे दें तो वो सम्मान में आप के पैर भी छु लेगा। पर ये तो कोई सम्मान नहीं हुवा।
असली सम्मान तो तभी होता है जब कोई आप को सम्मान दे पर आप से उससे कोई ऐसा फ़ायदा न पहुँच रहा हो जो की आप को सम्मान देने के लिए जरुरी है। और ऐसा सम्मान बहुत मुश्किल से ही मिलती है, इसलिए मै ऐसा कोई काम नहीं करता तो किसी को मेरा सम्मान करने पर मजबूर करे।
 चाहे कोई मेरा सम्मान करे चाहे न करे पर कोयी मजबूर हो कर तो मेरा सम्मान बिलकुल भी नहीं करे। वैसे तो मै अपनी जिन्दगी में कई लोगो की दिल से इज्ज़त करता हूँ,
पर अगर मै कॉमिक्स की दुनिया के लोगो की बात करूँ तो ये कुछ वो लोग है जिनसे मुझे कोई फ़ायदा होने की कोई उम्मीद नहीं रहती पर दिल उनकी इज्ज़त करता ही है।
 1-श्री अनुपम अग्रवाल-जिनके कारण मैंने ये जाना की कॉमिक्स को अपलोड करके बचाया जा सकता है। वो जो भी लिखते है बहुत ही नपा-तुला होता है,उनकी हर बात मुझे कुछ नया सिखाती है,मै उनकी बराबरी करना तो चाहता हूँ पर मै जानता  हूँ ये कभी संभव नहीं है।
 2-श्री मोहित राघव-इनके कारण मैंने ये जाना कॉमिक्स स्कैन करते कैसे है, हर कदम पर इन्होने मेरा प्रोत्साहन किया,जितना काम इन्होने कॉमिक्स के लिए किया उतना तो मै हमेशा से करना चाहता हूँ पर मै ये भी जानता  हूँ की ये तो बिलकुल असंभव है।
 3-श्री सागर जंग राणा- इनका नाम तो मै बिलकुल भी नहीं लिखना चाहता था पर अगर मै ये न करूँ तो मै अपने साथ ही धोखा करता हूँ। एक इंसान के रूप में मै इनका बिलकुल भी सम्मान नहीं करता ( सागर जी माफ़ी मांगता हूँ). पर एक कॉमिक्स संग्रहकर्ता के रूप में इनका बिकल्प नहीं है, अगर मै कॉमिक्स से प्रेम करता हूँ तो संग्रहकर्ता के रूप में इनका सम्मान तो अपने आप ही दिल में आ ही जाता है। कॉमिक्स के प्रति इतना प्रेम, मै भी बिलकुल ऐसा ही चाहता हूँ, पर मै इसका 10% भी नहीं कर सकता।
ये मेरे इन तीनो के प्रति अपने विचार है और मै इन सब से अग्रिम माफ़ी मांगता हूँ अगर किसी को भी मेरी कोई भी बात बुरी लगी हो।
आप ने मेरे अन्दर से निकली ये बाते आज जानी है। फिर कभी अपने अन्दर कुछ और भी बाहर निकालूँगा, तब तक आप इस बेहतर चॉकलेट का आनंद लें फिर जल्दी ही दुबारा मिलते है। ..............

Saturday, 26 January 2013

Madhu Muskaan Comics-Popat Chaupat Ka Panchranga Aachaar


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मधु मुस्कान कॉमिक्स-पोपट चौपट और पचरंगा आचार
 मधु मुस्कान पत्रिका एक बहुत ही अच्छी पत्रिका थी और पत्रिकाओं में मै इसे सबसे बेहतर मानता हूँ। इसके चरित्र, इसके चित्र और कहानियां लाजबाब होती थी, मुझे मधु मुस्कान में कभी भी बहुत ज्यदा लगाव नहीं रहा उसका कारण बचपन में पैसे की कमी होना था और जब पैसे हुए तो ये पत्रिकाए नहीं छप रही है। यही शायद मेरे जैसे सभी दोस्तों की परेशानी रही होगी। उस समय जो हमें सबसे ज्यादा भी पसंद होता था उसके लिए भी हमारे माता-पिता पैसा नहीं देते थे,(कारण पैसे की कमी नहीं कॉमिक्स को बुरा समझा जाना ज्यादा नहीं था।). सब कुछ छुप-छुप कर करना पढता था, कॉमिक्स लाने से लेकर उसे पढने तक सब कुछ छुप कर,इनको पढना सबसे बुरा और बेकार काम समझा जाता था। और ये भी एक बहुत बड़ा कारण है कॉमिक्स और कॉमिक्स पत्रिकाओं के पतन का, कॉमिक्स पढ़ते हुए देखे जाना चोरी करने जैसा होता था जिसके लिए सबसे कड़ी सजा हमें मिलती थी,ऐसे में उन्हें संग्रह करके रखना असंभव जैसा काम था और आज भी है,मै कैसे अपनी कॉमिक्स के साथ रहता हूँ ये सिर्फ मै ही समझ सकता हूँ।

जीवन में मैंने एक बात बहुत अच्छे से जानी ही की आप अगर भगवान् का अवतार भी क्यों न हो आप सब को एक साथ खुश नहीं रख सकते। और आजकल जैसा समय है आप चार को खुश करने की कोशिश करेंगे तो चालीस आप से नाराज़ हो जायेंगे। आज अगर मै एक बात को अच्छे से सोचता हूँ तो एक चीज़ पाता हूँ, कि कम से कम कॉमिक्स स्कैन और अपलोड करने को लेकर जानने वाले किसी को देने के अलावा कुछ लिया नहीं है,और हर दुसरे और तीसरे दिन कुछ न कुछ पढने को देता ही रहता हूँ फिर भी मै बहुत बुरा हूँ ,हर दूसरा आदमी मुझे अपना साथ न देने का दोषी ठहरता है। मैंने आज तक किसी से कुछ शायद ही कभी कुछ लिया हो फिर भी हर आदमी मेरी बुराई का बहाना खोजता रहता है।
 पर फिर "गुरू" फिल्म का वो संबाद याद करने के बाद बहुत राहत मिलती है की "अगर लोग आप की बुराई करना शुरू कर दें तो समझ लो की तुम तरक्की कर रहे हो"।
 ऐसा भी बिलकुल नहीं है की मै ये नहीं सोचता की ये सब अगर एक साथ कुछ कह रहे है तो क्यों कह रहे है, पर मेरा तरीका कुछ अलग है, अगर कोई मुझे कुछ कहता है तो मै खुद को उसकी जगह रख का देखता हूँ अगर वो आदमी मुझे सही लगता है तो मै उसकी कही गयी बात को सकारात्मक लेता हूँ औरअपने में सुधार करने की कोशिश करता हूँ और मै उससे सही नहीं पाता हूँ तो फिर मै अपने को पहले जैसा ही रखता हूँ। और इसके भी ऊपर मै इश्वर से अपने लिए सजा की प्रार्थना करता हूँ अगर मैंने कुछ ऐसा किया है जो मुझे नहीं करना चाहिए।
 आज मुझे लगभग पांच साल हो गए कॉमिक्स को स्कैन और अपलोड करते हुवे, बहुत कुछ सुना और बहुत कुछ देखा। पर इसके बाद  भी जब-जब मेरी बुराई होनी शुरू हुई मुझे कुछ जबरदस्त फ़ायदा हुवा। जैसा की पिछली बार था जब मुझे लगा की शायद मुझ में कुछ कमी है कही मुझ से गलती हुई है, बस उसी समय मेरी कमाई, मात्र दो दिन के अन्दर चार गुना बढ़ गयी। और अभी दो दिन पहले की बात ले लूँ फिर मुझे लगा की शायद फिर मुझ से कोई गलती हो रही है फिर मुझे ऊपर वाले की मदद से(आप लोगो की दुवाओ से ) दुसरे स्कूल ने सामने से बुला कर पहले से 40% ज्यादा पैसे देकर अपने यहाँ काम करने को कहा और मैंने 25 जनवरी 2013 को पुराना स्कूल छोड़ कर नया स्कूल ज्वाइन कर लिया।
 ये सब बाते मेरा मनोबल बढाती है और मुझे इस बात का अहसास करवाते है की मै अभी फिलहाल तो सही हूँ, और मै ये अच्छे से जनता हूँ जिस दिन मै गलत हूँगा मै अपनी सजा भुगतने को तैयार रहूँगा क्योंकि भगवान् की लाठी में आवाज़ नहीं होती। और मै चाहता भी यही हूँ।
 मुझे लगता है आज कुछ ज्यदा हो गया, अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये .
 ये कॉमिक्स छोटी-छोटी कहानियों का संग्रह है और कहानियां बहुत मजेदार है,जैसे पहली कहानी में पोपट और चौपट अपने वैज्ञानिक दोस्त से मिलने जाते है और स्पेस यान को घर समझ कर उसमे घुस जाते है और नास्ते के चक्कर में कुछ बटन दबा बैठते है और फिर उनके साथ क्या क्या होता है ये आप कुछ पढ़ का जाने तो ही अच्छा रहेगा।

Thursday, 24 January 2013

Parvat Ki Raani (By Ibne Safi)


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इब्ने सफी और उनकी जासूसी दुनिया,
 हिंदी और ऊर्दू में शायद ही कोई ऐसा जासूसी लेखक होगा जिसने इब्ने सफी जी की तरीके की नक़ल न की हो। यहाँ तक की आज के सबसे बड़े जासूसी उपन्यासकार "श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक जी" भी मानते है की इब्ने सफी जी की काफी चीजों को उन्होंने अपनी कहानियों में इस्तेमाल किया है। उनके विनोद-हमीद नायक की जोड़ी की देखा-देखी इतने नायक बनाये गए की उनके बारे में लिखना भी संभव नहीं होगा।
 उनकी कहानियां सर्वश्रेठ जासूसी कहानियां कहलाती है और इन कहानियों को पढ़ कर आप भी इस बात को जरुर मान जायेंगे। मेरे पास उनके लिए तारीफ के शब्द मिलना मुश्किल है। कुछ भी लिखने से पहले ये डर लगता है की कही कुछ कम न रह जाये।
 मेरे लिए इतना भी लिखना भारी पड़ रहा है, मै आप से माफ़ी मांगते हुवे सिर्फ इतना ही कहता हूँ अगर कुछ गलती हो गयी तो तो माफ़ करते हुवे उनकी इस बेहतरीन रचना का आनद लें।

जासूसी दुनिया को स्कैन आसुतोष जी ने किया था और ये जासूसी दुनिया भी उनकी ही है। इस बेहतरीन कहानी को संग्रह और स्कैन करने के लिए मै उन्हें तहेदिल से धन्यवाद देता हूँ। 

 मै जल्दी ही आप के सामने एक और बेहतर कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलता हूँ।

Saturday, 19 January 2013

Chitrabharti Kathamala-07-Chocolate


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चित्रभारती कथामाला -07-चॉकलेट
 मेरे प्यारे दोस्तों
 जैसा की मै आप सभी को बता चूका हूँ कि लखनऊ में न तो बिजली की समस्या समाप्त हो रही है ,और न ही ठण्ड। और इन दोनों से एक साथ निपटना बहुत मुश्किल हो रहा है और ऊपर से चॉकलेट का 6 न. भी मेरे पास नहीं थी और मै इंतज़ार कर रहा था की शायद कोई मित्र मेरी मदद कर दें और ये सीरीज पूरी हो सके, पर जब चारों और से निराशा हाथ लगी तब मैंने ये फैसला किया की जो मेरे पास है वो ही अपलोड कर दिया जाये। और इसी बात को ध्यान में रखते हुए मै चॉकलेट न . 07 लेकर आप के सामने आया हूँ और मुझे अच्छी तरह से मालूम है की ये चॉकलेट भी आप का भरपूर मनोरंजन करेगी।
इस में 'प्राइवेट डिटेक्टिव कपिल' से हम सब की मुलाकात नहीं होगी पर इसमें अनुपम सिन्हा जी का 'स्पेस स्टार' सीरीज का आरंभ जरुर होगा जो की बहुत ही बेहतर है इसके अलावा 'मानस पुत्र' सीरीज भी पढने को मिलेगी। और इस बार चॉकलेट छोटे आकर में भी छपी थी। आप सब इस बेहतर चॉकलेट का आनंद लें मै जल्दी ही कुछ बेहतर कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलते है .........

Bonsai कथाएँ


यहाँ देखें
मेरे प्यारे दोस्तों
 अभी कुछ दिन पहले मेरी मोहित शर्मा जी से बात हुई थी,तब जा कर मैंने ये जाना की वो लिखते भी है। पर ये जानना मेरे लिए कोई नहीं बात नहीं थी, यहाँ हर कोई कुछ न कुछ लिखता है या बनाता है। जब से फेस बुक का चलन बढ़ा है,लोगो ने अपने शौक को पूरा करने का जरिया इसे बना लिया है। पर सच कहूँ मै फेस बुक को न के बराबर ही इस्तेमाल करता हूँ,इसलिए मुझे इससे बिलकुल भी फर्क नहीं पड़ता की कौन क्या लिखता है या क्या बनाता है।
 हाँ नागराज जन्मोत्सव में जाने के बाद वहां पर राज कॉमिक्स में काम करने वाले चित्रकारों और लेखकों से मिलने का मौका मिला। कहानी के बारे में तो मै समझता हूँ की मै अच्छी जानकारी रखता हूँ पर वहां चित्रों के बारे में जो जानकारी मिली वो मेरे लिए अनोखी थी। इन सब से बात करके मुझे ये लगा की जैसे मै कुछ जानता ही नहीं हूँ। मंदार जी,अनुराग जी,शादाब जी,सुशांत जी और सभी जो कि अपने आप में बेहतर कलाकार होने के साथ बहुत ही अच्छे इंसान भी है। मुझे एक बार भी ये नहीं लगा की मै इन सब में नहीं हूँ जो की बिलकुल सच है की मै इन लोगो में नहीं था। इतनी अच्छी समझ मुझ में नहीं है।

अब बात मोहित जी कर ली जाये,
 उनके कहने पर मैंने उनकी कहानियों का संग्रह बोन्साई कथाये पढ़ी। और सच कहूँ मै बिलकुल भी भरोसा नहीं कर पा रहा था की मै इतनी बेहतर कहानियां पढ़ रहा हूँ। उनकी पहली कहानी "मासूम ममता" ने मुझे हिला के रख दिया,इसको पढने के बाद मै कुछ समय तक जैसे सकते की स्तिथि में आ गया था। इसके बाद मैंने बाकी की कथाएं पढ़ी पर पहली कहानी ने जो स्तर बनाया था वो बाकी का तो नहीं था पर थी वो भी बहुत ही अच्छी। बाकी की कवितायेँ थी जिनकी मुझे ज्यदा समझ नहीं है पर पढने में मुझे बहुत ही अच्छी लगी सभी हिर्दय को छूती हुई लगी।
मै बस इतना ही कह सकता हूँ इन कथायों को जरुर पढना चाहिए, मेरी कल्पना से बहुत ही अच्छी ये कहानियां है।

Tuesday, 15 January 2013

Nutan Comics-260-Tilasmi Khopdi


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नूतन कॉमिक्स-260-तिलस्मी खोपड़ी
 मैंने कॉमिक्स पढना लगभग 1988 के लगभग शुरू किया था।पहली कॉमिक्स "चाचा चौधरी और उड़ने वाली कार" थी। अपने शुरू के दिनों में मैंने ज्यदातर डायमंड कॉमिक्स ही पढ़ा था। फिर आया "नागराज" का दौर और उस समय अगर राज कॉमिक्स में जो कुछ भी पढ़ा वो "नागराज" ही था।
 फिर हाथ लगी मनोज कॉमिक्स और उसके सदाबहार किरदार "राम-रहीम", फिर इन दोनों के अलावा डायमंड कॉमिक्स के चाचा चौधरी ही था जो पढने के लायक लगता था। सच बात तो ये है इन तीन को खरीदने के ही पैसे नहीं हो पाते थे यहाँ तक किराये पर भी पढने लायक पैसे भी कभी-कभी नहीं होते थे और ऊपर से पढाई का इतना दबाव होता था कि खेलने का समय भी कम करना पड़ जाता था।
 फिर मिला "सुपर कमांडो ध्रुव",और उसके बाद किसी भी किरदार को खरीदने की इच्छा ख़तम हो गयी थी क्योंकि उससे बेहतर मुझे तो कुछ कभी लग ही नहीं सकता था और न है। तो सच तो ये है नूतन कॉमिक्स अगर कभी पढ़ा भी तो सब किराये पर या किसी से कॉमिक्स के बदले कॉमिक्स लेकर ही पढ़ी होगी। इस लिए इस पब्लिकेशन के बारे में मेरे पास कुछ बेहतर कहने को नहीं है। बाद में जब मैंने खुद कमाना शुरु किया तब तक राज कॉमिक्स के किरदार बेहतर आ रहे थे और महीने में 10 कॉमिक्स से ज्यदा आती थी और नूतन कॉमिक्स ने लगभग कॉमिक्स छापना बंद कर दिया था।
 फिर जब मनोज कॉमिक्स छपनी बंद हुवी तब जा कर जो भी कॉमिक्स मिली खरीदना शुरू किया उनमे नूतन कॉमिक्स,प्रभात कॉमिक्स, और बहुत पब्लिकेशन की कॉमिक्स मिली और तब जा कर ये जाना की ये कॉमिक्स पब्लिकेशन का स्तर कहाँ था और सच कहूँ मुझे इनको न पढ़कर मुझे कभी भी अफ़सोस नहीं हुवा।

अब बात इस कॉमिक्स की कर ली जाये, राजा विषधर एक न्याय प्रिय राजा है,उनके राज्य में 30 विद्वान पंडित है,वो ये जानना चाहते है की उनके पंडितों में कौन सबसे ज्यादा विद्यावान है, तभी एक अनोखी बात होती है की एक दुष्ट जिन्न दरबार में आता है एक खोपड़ी के साथ और फिर एक सवाल की उसकी पास की खोपड़ी की क्या कीमत है अगर सही कीमत बता दी तो ठीक नहीं तो वो दरबार के सभी पंडितों को खा जायेगा। फिर क्या होता है? क्यों वो जिन्न राजा विषधर के पंडितों के पीछे ही क्यों पड़ा है? क्या कोई पंडित सभी की जान बचा सका ? इस सभी सवालों के जबाब जानने के लिए आप को इस कॉमिक्स को पढनी ही पड़ेगी। आप सब इस बेहतर कॉमिक्स का आनंद ले फिर जल्दी ही मिलता हूँ ......

Thursday, 10 January 2013

Chitrabharti Kathamala-05-Chocolate Rahasymaye Hatyara


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चित्रभारती कथामाला -05-चॉकलेट और रहस्यमय हत्यारा
 चॉकलेट की ये पाचंवी कॉमिक्स है जो मै आप सब के सामने ले कर आया हूँ।ये पत्रिका बाकी सभी चॉकलेट पत्रिकाओं की तरह ही बहुत बेहतर है। "प्राइवेट डिटेक्टिव कपिल", "जूनियर जेम्स बांड", "चंदू" और इस बार तो "मास्टर जी" भी आप सब से मुलाकात करेंगे। और आप सब का बेहतर मनोरंजन करेंगे।
 कभी-कभी ये सोच कर हैरानी होती है की श्री अनुपम सिन्हा जी जैसे बेहतर कहानीकार और चित्रकार के होते हुए भी ये पत्रिका शायद पूरे एक साल भी नहीं छप पाई। मेरी जानकारी में अभी तक चॉकलेट के सिर्फ 11 नम्बर ही आये है अगर किसी के पास इससे बेहतर जानकारी हो तो यहाँ जरुर बताये।
 पिछले चार दिनों से मेरे घर पर बिजली नहीं आ रही थी,जिसके कारण न कोई स्कैनिंग हो पा रही थी और फिर अपलोड करने की बात तो बहुत दूर की है।
 वैसे भी कॉमिक्स स्कैन और अपलोड करना बहुत ही मुश्किल काम है, जैसा की मैंने अपने एक लेख में पूरा विवरण लिखा था। "बहुत मुश्किल है डगर पनघट की". पर कुछ भी हो मै कॉमिक्स स्कैन और अपलोड करने का काम करते रहने की पूरी कोशिश करता रहूँगा।
 बस आप सब के सहयोग और प्रार्थना की आवश्यकता है। जो की अभी तक भरपूर मिल रहा है बस इसमें कमी न होने पाए जिससे मेरा हौसला बना रहे।
आप सब इस बेहतर कॉमिक्स का आनंद लें मै जल्दी ही दूसरी कॉमिक्स के साथ दुबारा मिलता हूँ .............

Thursday, 3 January 2013

Anand Chitrakatha-32-Lali Dali Ki Jamakhoron Se Takkar


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आनंद चित्रकथा-32-लाली डाली और जमाखोरों से टक्कर
सबसे पहले आप सब को नए साल 2013 की हार्दिक शुभकामनाये
 नए साल पर मेरी तरफ से ये पहली अपलोड है। ये कॉमिक्स, आनंद चित्रकथा की 32 वी कॉमिक्स है और सच कहूँ बस ऐसे छाप दी लगता है। कॉमिक्स के चित्रों में ऐसा कुछ भी नहीं है की उसके बारे में कुछ भी कहा जाये। प्रिंटिंग भी अच्छी नहीं है और न ही चित्रों में कोई भी खाशियत है। नए साल पर इस तरह की कॉमिक्स अपलोड करने की इच्छा बिलकुल भी नहीं थी पर ये सोच कर अपलोड कर रहा हूँ की ये बहुत ही रेयर कॉमिक्स है। और इसलिए ये बहुत ही अनमोल हो जाती है।
 अब बात इसकी कहानी की कर लेते है ....
 दिलावर शेठ और शेठ धाँसू मल समाज के के सम्मानित व्यक्ति है,धर्म- कर्म और दान -कर्म करने में सबसे आगे रहते है। पर उनका दूसरा रूप जमाखोरों और कालाबाजारियों का है। जिसे लाली और डाली बेनकाब करना चाहते है पर कमिश्नर बिना सबूत के कुछ भी नहीं करना चाहते। अब लाली- डाली कैसे इन दोनों के बेनकाब करती है ये ही इस कहानी का आकर्षण है।
आप इस कॉमिक्स को पढ़िए,मै जल्दी ही दूसरी कॉमिक्स के साथ दुबारा  मिलता  हूँ  ........

Infinite Crisis 07

MC-1112-Ma Ka Karz

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